खाना खाने के नियम (khana khane ke niyam) – अच्छे से अच्छा भोजन करने के बावजूद बहुत से लोग हमेशा किसी ना किसी बीमारी से घिरे रहते हैं | वह एक सवाल से परेशान रहते है की उनके शरीर को खाया पिया क्यों नहीं लगता, ऐसा क्यों होता है ? खाना खाने के नियम का पालन करके वह इस स्थिति को सुधार सकते है | खाने खाने का सही तरीका क्या है? आइये जानते है:-
खाना खाने के नियम | Khana Khane Ke Niyam
आयुर्वेदा और प्राकृतिक चिकित्सा में बताये गए खाना खाने के 3 नियमो के अनुसार भोजन को चबा-चबा कर खाएं, भूख से कुछ कम खाना खाये, और एक बार भोजन करने के पश्चात कम से कम 3 घंटे तक कोई भी वस्तु पेट में ना डाले | इन नियमो का पालन करने वाला व्यक्ति हमेशा रोगों से दूर रहेगा और खाया पिया भी उसके शरीर को लगेगा |
आजकल की लाइफस्टाइल में लोगों के पास चैन से खाना खाने का वक्त ही नहीं होता | वह तो खाने को खाने के स्थान पर निगलने में लगे रहते हैं | और बाद में यह सोच-सोच कर परेशान रहते है की भोजन के पोषक तत्व को उनका शरीर ग्रहण क्यों नहीं करता ? वह ऐसा क्या करें कि बार-बार होने वाली बीमारियां उन्हें तंग ना करें ? आखिर खाने खाने का सही तरीका है क्या?, खाना खाने के नियम क्या है यानि खाना खाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और यह नियम किस तरह कार्य करते है और इनके पीछे का विज्ञानं क्या है ?
Table of Contents
- खाना खाने के नियम | Khana Khane Ke Niyam
- खाना खाने का तरीका | Khana Khane Ka Sahi Tarika
- खाना खाने के 3 नियम और यह नियम कैसे कार्य करते है ? | Khana Khane Ke 3 Niyam
- खाना खाने के 3 नियम जिनसे पता लगता है खाना खाने का सही तरीका और इनके पीछे का विज्ञानं
- भोजन के नियम (आयुर्वेद) | Bhojan Ke Niyam (Ayurveda)
खाना खाने का तरीका | Khana Khane Ka Sahi Tarika
बहुत से लोग यह सोच कर हैरान रहते है की वह भोजन तो अच्छे से अच्छा करते है मगर वह भोजन उनके शरीर को लगता नहीं है और यही नहीं हमारे शरीर को होने वाली 90% बिमारिओ का कारण पाचन क्रिया का सही से कार्य न करना होता है |
मोटापा, शरीर में फैट का जमा हो जाना, गैस, कब्ज, बवासीर, खट्टे डकार, समय से पहले बुढ़ापा आना, कमजोर इम्यून सिस्टम आदि अनेक बीमारियों का कारण होता है हमारी पाचन क्रिया का सही से कार्य न करना, जिसकी वजह है हमारा खाना खाने का तरीका |
खाना खाना भी एक कला है | इस बात को समझने के लिए सुनिए प्राकृतिक चिकित्सा में दिया गया एक वाक्य : “एक साधारण भ्रम जो लोगो में बरसों से फैला हुआ है कि शरीर को स्वस्थ व बलिष्ठ बनाने के लिए मूल्यवान भोजन की आवश्यकता होती है, इस विचार में कदापि भी सत्यता नहीं है |”
“भोजन को ग्रहण यानि खाना खाने के ज्ञान से निर्धन से निर्धन मनुष्य भोजन को पोषक और बलवर्धक बना सकता है और भोजन की अज्ञानता से धनवान से धनवान मनुष्य भोजन को विष के समान घातक बना सकता है |”
“सत्यता इस बात पर है कि उचित समय पर, उचित परिमाण में, उचित रुप से निश्चित होकर खाया हुआ भोजन सदा ही लाभदायक रहता है |” अर्थार्थ सही तरीके से खाया गया भोजन हमारे शरीर को निरोगी रखता है और वही भोजन अगर गलत ढंग से खाया जाए तो हमारा शरीर रोगों से भर जाता है और व्यक्ति आजीवन रोगों से घिरा रहता है |
खाना खाने के 3 नियम और यह नियम कैसे कार्य करते है ? | Khana Khane Ke 3 Niyam
यहां पर हम आपको खाना खाने के संदर्भ में नेचुरोपैथी में बताये गए 3 ऐसे नियम बताने जा रहे हैं जिन को ध्यान में रखने से भोजन अमृत के समान गुणकारी हो जाता है |
आगे बताये गए 3 नियमो को अपनाने से पाचन क्रिया बिलकुल सही तरीके से कार्य करना शुरू कर देगी और साथ ही आपको भोजन के संपूर्ण पोषक तत्वों का लाभ भी मिलेगा और वही भोजन आपके शरीर को निरोगी रखने के साथ-साथ आपके जीवन को सुखमय बना देता है |

आगे बताये गए 3 नियमो को अपनाने से पाचन क्रिया बिलकुल सही तरीके से कार्य करना शुरू कर देगी और साथ ही आपको भोजन के संपूर्ण पोषक तत्वों का लाभ भी मिलेगा और वही भोजन आपके शरीर को निरोगी रखने के साथ-साथ आपके जीवन को सुखमय बना देता है |
खाना खाने के 3 नियम जिनसे पता लगता है खाना खाने का सही तरीका और इनके पीछे का विज्ञानं
पहला नियम :- भोजन को चबा-चबा कर खाएं |
जो भोजन हम खाते हैं वह मुंह में दातों से पिसा जाता है | मुंह में नीचे और ऊपर वाले मसूड़ों में एक प्रकार की ग्रंथियां या थैलियां होती हैं जिसके अंदर से एक प्रकार का गाढ़ा रस निकलता है जिसे लार (सलाइवा) कहते हैं |
इसी लार में एक प्रकार का खार पदार्थ (टायलिन) होता है | जो श्वेतसार यानि गेहू, दाल, चावल, आलू, केला आदि पदार्थों को शक्कर में परिवर्तित कर देता है |
इसी कारण हमें चाहिए कि भोजन को इतनी देर तक चबाये कि वह बिना शक्ति लगाएं अपने आप से गले की ओर भागे, रोकने पर भी ना रुके |
कभी-कभी तो लोग इतनी शीघ्रता से खाने को निगल जाते हैं की पानी की सहायता से खाने को अमाशय की ओर धकेलना पड़ता है |
सही से चबाया गया भोजन शीघ्र पच जाता है और दांतों और मसूड़ों का व्यायाम भी होता है जिसके कारण से उनमे रोग लगने की संभावना कम हो जाती है |
साथ ही चबा-चबा कर खाना खाने से भोजन के प्रत्येक कण में लार अच्छे से मिक्स हो जाती है जिससे कि भोजन सुपाच्य हो जाता है और यही नहीं हमारा शरीर 20 मिनट के अंदर अंदर हमें यह बता देता है कि हम कितने भोजन की और आवश्यकता है यानी कि हमारा पेट भर गया है या नहीं |
जब हमारा शरीर हमें बता देता है कि हमारा पेट भर गया है तो हमारा खाने हमारी खाने खाने की इच्छा ही खत्म हो जाती है |
दूसरा नियम :- भूख से कुछ कम खाना खाये | अमाशय को ठूस-ठूस कर नहीं भरना चाहिए मतलब जो मनुष्य आधी रोटी की भूख रखकर भोजन करेगा, वह रोगों से दूर रह सकेगा |
भोजन को पचाने के लिए जब अमाशय अपनी उथल-पुथल क्रिया आरंभ करता है तो थैली सिकुड़ती और फैलती है | यदि थैली इतनी भरी हो कि अमाशय को सिकुड़ने ओर फैलने की क्रिया करने में बाधा पड़े तो थैली के ऊपर का मुँह दबाव के कारण खुल जाता है और कुछ खट्टा-खट्टा हमारे मुंह में आ जाता है यानी कि अगर मनुष्य आधी या एक रोटी की भूख रखकर भोजन करे तो अमाशय की सिकुड़ने ओर फैलने की क्रिया बिना किसी दबाव के चलेगी और मनुष्य रोगों से दूर रह सकेगा अन्यथा दुखी जीवन व्यतीत करता रहेगा जिसका कि वह स्वय जिम्मेवार होगा |
तीसरा नियम :- एक बार भोजन करने के पश्चात कम से कम 3 घंटे तक कोई भी वस्तु पेट में नहीं डालनी चाहिए |
मुँह से होता हुआ भोजन अमाशय नुमा थैली में पहुँचता है | भोजन पहुंचने के कुछ समय बाद इस थैली की सुकड़ने-फैलने की क्रिया आरम्भ हो जाती है | इस क्रिया द्वारा भोजन कभी इधर तो कभी उधर फिरता रहता है |
खाना खाने के 3 घंटे तक आमाशय में उथल-पुथल की क्रिया जारी रहती है और अमाशय का रस यानी गैस्ट्रिक जूस – हाइड्रोक्लोरिक एसिड भोजन को पचने योग्य बनाता रहता है |
यदि उस समय आपने कोई भी खाना या खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ ग्रहण किया या अमाशय में डाला तो उसमें लार की खार (टाईलिन) अवश्य मिल जाएगी | खारी और खट्टी की दुश्मनी है | टाईलिन-खार पहुंचने से गैस्ट्रिक जूस का कार्य उस समय तक के लिए स्थगित हो जाता है जब तक कि टाईलिन-खार का समन्वय ना हो जाए |
और यही एक प्रमुखः कारण होता है गैस और एसिडिटी का इसलिए एक बार भोजन करने के पश्चात कम से कम 3 घंटे तक कोई भी वस्तु पेट में नहीं डालनी चाहिए |
दोस्तों ऊपर बताए गए 3 सूत्र प्राकृतिक चिकित्सा यानि नेचुरोपैथी में से लिए गए हैं | आइए जानते हैं आयुर्वेद इन 3 सूत्रों के बारे में क्या कहता है ?
भोजन के नियम (आयुर्वेद) | Bhojan Ke Niyam (Ayurveda)
पहला सूत्र :-
आयुर्वेद में भोजन को चबा-चबा कर खाने का काफी महत्व बताया है | आयुर्वेद के अनुसार भोजन के हर एक ग्रास को लगभग 32 बार चबा-चबा कर खाना चाहिए जिससे कि भोजन को पचाने के लिए अमाशय पर अतिरिक्त भार ना पड़े |
दूसरा सूत्र ->
आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के 45 min तक कोई भी खाध पदार्थ या पेय पदार्थ नहीं खाना या पीना चाहिए | भोजन के दौरान पिया गया अधिक पानी या भोजन के एकदम बाद पीना भोजन क्या अगर तमाशा और अमर पाचन रस बनाना पड़ता है जिससे शरीर में एसिडिटी जैसी परेशानियां हो सकती है
तीसरा सूत्र :-
तीसरे प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक चिकित्सा दोनों का एक मत है कि हमें भूख से कम खाना खाना चाहिए |
खाना खाते समय इन 3 सूत्रों को ध्यान में रखे और निरोगी और सुखी जीवन का आनंद उठाये |

हम उम्मीद करते है की शरीर को खाया पिया क्यों नहीं लगता, खाना खाने के नियम (khana khane ka niyam), खाने खाने का सही तरीका क्या है?, भोजन के नियम आयुर्वेद, विषयो पर दी गई यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद रहेगी।
खाना खाने के बाद लहसुन खाने के फायदे
मूली कब खाने पर सबसे ज्यादा फायदा करती है ?
Our YouTube Channel is -> A & N Health Care in Hindi
https://www.youtube.com/channel
Join Our Facebook Group :- Ayurveda & Natural Health Care in Hindi —-
https://www.facebook.com/groups/1605667679726823/