चूने का पानी पीने के फायदे
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मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान गुणकारी होता है | मगर कुछ छोटे बच्चो का हाजमा या पाचन क्रिया इतनी खराब होती है की वह मां का दूध भी हजम नहीं कर पाते और दूध पीने के बाद या तो दूध को निकाल देते हैं या दस्त करने लगते हैं | कई बच्चे तो दिन में कई-कई बार पॉटी करते हैं |
बच्चे के दूध की उलटी करने के कारण और घरेलु उपाय
हम आपको बच्चों को दूध ना पचने या बदहजमी के कारण होने वाले दस्त और अम्लता यानी एसिडिटी से पैदा हुई वमन यानी उल्टी को दूर करने के साथ -साथ बच्चों को हष्ट पुष्ट बनाने और बच्चों की पाचन क्रिया को ठीक करने में रामबाण चूने का पानी बनाने की विधि और उसके सेवन करने का तरीका बताने जा रहे हैं |
चूने का पानी (लाइम वाटर) बच्चों के लिए अमृत के समान लाभकारी होता है |
इसके सेवन से बच्चे निरोग और हष्टपुष्ट बनते हैं |
अगर बच्चे का जिगर खराब या कमजोर हो गया हो या बच्चा माँ का दूध भी न पचा पाता हो तो उसे चूने का पानी (लाइम वाटर) पिलाने से लाभ होता है |
बच्चे का हाज़मा ठीक रहता है और अजीर्ण या बदहज़मी के कारण होने वाले दस्त और एसिडिटी से पैदा हुई वमन यानि उल्टी, चूने के पानी के सेवन करने से ही से दूर हो जाती है |
इससे बच्चे में कैल्शियम की कमी से होने वाले अनेक रोगों से बचाव होता है और बच्चे हृष्ट पुष्ट बनते हैं |
छोटे बच्चो की कब्ज के कुछ अनसुने कारण और उन्हें दूर करने के उपाय
चूने का पानी
चूने का पानी (लाइम वाटर) बनाने की विधि जानने से पहले आइये जानते है चूने के पानी (लाइम वाटर) का सेवन करने की विधि के बारे में :-
चूने के पानी (लाइम वाटर) का सेवन करने की विधि
1 साल से कम उम्र के बच्चे को जितने महीने का बच्चा हो उतनी ही बूंदों के रूप में यह चूने का पानी (लाइम वाटर) दो चम्मच दूध में एक बूंद चूने का पानी (लाइम वाटर) के हिसाब से मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं |
1 साल से लेकर 8 साल तक के बच्चों को आधा कप पानी या दूध में 15 से 20 या चौथाई से आधा चम्मच चूने का पानी दिन में दो बार दूध के साथ पिलाते रहे |
बालकों में छोटे बच्चों में दूध के विकार मतलब दूध पीने पर होने वाली बीमारियों को मिटाने के लिए रामबाण नुस्खा है |
बताई गई विधि के अनुसार चूने के पानी (लाइम वाटर) का सेवन करने से 5 से 7 दिन में ही बालक की हालत में सुधार होने लगता है | इतना ही नहीं बच्चे के दांत भी आसानी से निकलते हैं |
चूने का पानी बनाने की विधि
मिट्टी के बर्तन में 60 ग्राम बिना बुझे हुए चूने की डालकर, उसमें 20 गुना यानी तकरीबन 1 किलो 200 ग्राम पानी मिला दे |
दिन में एक-दो बार लकड़ी से हिला भी दें ताकि चूना अच्छे से घुल जाए |
फिर 24 घंटो के बाद बीच का साफ पानी निथार कर, किसी कपड़े से छान कर, बोतल में भर ले |
ध्यान रहे कि बीच में बैठा हुआ चूना हिले नहीं और ऊपर वाली तह पर जमी हुई पपड़ी भी पहले उतार लेनी चाहिए | यही लाइम वाटर ( चूने का पानी ) है |
आप चाहें तो इस में 120 ग्राम पिसी हुई मिश्री डालकर इसे मीठा भी कर सकते हैं ताकि बच्चे को इसका स्वाद पसंद है |
तो दोस्तों यह थी लाइम वाटर यानि चूने का पानी बनाने की विधि और उसके सेवन की विधि |
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