शरीर के लिए विश्राम उतना ही आवश्यक है जितना भूख के लिए भोजन |
यदि कोई मनुष्य समस्त दिन बगैर रुके परिश्रम ही करता रहे तो वह निश्चित है कि वह कुछ ही घंटों में उसका शरीर विश्राम न मिलने के कारण थक कर चूर-चूर हो जाएगा और ऐसे मनुष्य का शरीर बहुत दिनों तक टिक नहीं सकता |
मनुष्य को मनुष्य निर्जीव रेल गाड़ी के इंजन तक को यदि उचित विश्राम ना मिले, लंबी दौड़ के बाद दूसरे इंजन से वह न बदला जाए, उसके कलपुर्जे नित्य रोजाना साफ न किए जाएं तो वह एक कदम भी आगे नहीं चल सकता |
संसार के जीव जंतु पशु पक्षी आदि सभी परिश्रम के बाद आराम चाहते हैं |
यह सारी सृष्टि भी अपने विनाश काल में एक दिन विश्राम करती है ईसाईयों की धर्म पुस्तक बाइबल में भी इस बात की ओर संकेत है |
विश्राम के समय मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर के सारे अवयव, इंद्रियां स्थिर हो जाते हैं और विश्राम के बाद शरीर में, मस्तिष्क में दुबारा बल और ताजगी का अनुभव होने लगता है परिश्रम से खोई हुई जीवनशक्ति (एनर्जी) को दुबारा अर्जित करने के लिए ही विश्राम की आवश्यकता होती है |
हम जानते हैं कि हमारे शरीर में जो हृदय नाम का एक यंत्र है | वह 24 घंटे में 1,00,000 बार से अधिक ध
क-धक करता है और हमारी 12,000 मील लंबी रक्त वाहिनियों में लगभग 5,000 गैलन खून को दौड़ाता है | पर इस महत्वपूर्ण और कठिन कार्य को वह भी बिना विश्राम लिए नहीं करता और ना कर सकता है | दो ‘धक’ शब्दों के बीच जो समय होता है वह हृदय के विश्राम करने का समय होता है |
इतने थोड़े से समय में वह विश्राम करके इतनी अपार शक्ति ग्रहण कर लेता है जिसे वह मनुष्य के मरने तक क्रियाशील रहता है | इसलिए विश्राम के समय में विश्राम के संबंध में जो बातें दृदय के लिए सत्य है वही मनुष्य शरीर के प्रत्येक अवयव के लिए भी सत्य है |
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