शहद में भीगे आंवले के हैं ये अद्भुत फायदे || आंवले और शहद का मुरब्बा :-
आंवले और शहद को मिलाकर तैयार किया गया मुरब्बा शीतल और तर होता है | आंवले और शहद का मुरब्बा आँखों की रौशनी बढ़ाने मं सहायक , खून साफ करता है, शरीर में होने वाली जलन यानि दाह को शांत करता है और साथ ही नेत्रो के लिए हितकारी, रक्त शोधक, दाह शामक तथा ह्रदय, मस्तिष्क, यक्रत, आंतो और अमाश्य को शांति प्रदान करने वाला होता है | आंवले और शहद का मुरब्बा के सेवन से स्मरण शक्ति तेज होती है, मानसिक एकाग्रता बढ़ती है | मानसिक दुर्बलता के कारण चक्कर आने की शिकायत भी दूर होती है | सवेरे उठते ही जिन लोगों का सिरदर्द शुरू हो जाता है और चक्कर भी आते हो, उनके लिए तो आंवले और शहद का मुरब्बा एक गुणकारी दवा है | सुबह-सुबह नाश्ते में इसका सेवन करने से न केवल पेट साफ होता है बल्कि शारीरिक शक्ति, स्फूर्ति और कांति में भी वृद्धि होती है |
आगे बताई गई विधि के हिसाब से आंवले में शहद मिलाकर तैयार किया गया मुरब्बा यदि गर्भवती स्त्री को दिया जाए तो वह स्वयं भी स्वस्थ रहेगी और उसकी संतान भी स्वस्थ रहेगी | आंवले और शहद का मुरब्बा खाने से रंग भी निखरता है | यह एक ऐसा मुरब्बा है जिसमें विद्यार्थियों और दिमागी काम करने वालों की मस्तिष्क की शक्ति और कार्य क्षमता को बढ़ाने और चिड़चिड़ापन दूर करने के अमृत तुल्य गुण है | इसमें विटामिन ‘सी’, विटामिन ‘ए’, कैल्शियम, आयरन का अनूठा संगम है |
आंवला ही एक ऐसा फल है जिसे पकाने या सुखाने पर भी इसके विटामिन नष्ट नहीं होते | जबकि शहद एक योगवाही है | यह जिस भी चीज के साथ मिलाकर खाया जाता है उसके गुणों को बढ़ा देता है |
आंवले और शहद का मुरब्बा बनाने की विधि :-
500 ग्राम स्वच्छ हरे आंवला कद्दूकस करके उनका गुदा किसी कांच के बर्तन में डाल दें और गुठली निकालकर अलग कर दे | अब इस गूदे पर इतना शहद डालें की आंवले का गुदा शहद से तर हो जाय यानि आंवला शहद मैं डूब जाये | उसके बाद उस कांच के बर्तन को ढक्कन से ढक कर उसे 10 दिन तक रोजाना 4 से 5 घंटे तक धूप में रखें | यह मुरब्बा तैयार करने का प्राकृतिक तरीका है | बस 2 दिन बाद इस आंवले और
शहद के मुरब्बे को खाने के काम में लाया जा सकता है | इस विधि से तैयार किया गया मुरब्बा स्वास्थ्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है क्योंकि आग की बजाय यह मुरब्बा सूर्य की किरणों द्वारा निर्मित होने के कारण इसके गुणधर्म या विटामिन्स नष्ट नहीं होते और शहद में रखने से इसकी शक्ति भी बहुत बढ़ जाती है क्योंकि जैसा ऊपर बताया गया है शहद एक योगवाही है जो जिस भी वस्तु के साथ मिलाया जाता है उसके गुणों को बढ़ा देता है |
इसको सेवन करने की विधि :-
प्रतिदिन प्रातः यानि सुबह-2 खाली पेट 10 से 12 ग्राम, तकरीबन 2 चम्मच भर आंवले और शहद का मुरब्बा लगातार 3 से 4 सप्ताह तक नाश्ते के रूप में ले, विशेषकर गर्मियों में | चाहे तो इसके 15 मिनट बाद गुनगुना दूध भी पिया जा सकता है | मार्च-अप्रैल या सितंबर-अक्टूबर मास में इसका सेवन करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं |
यह आंवले और शहद का मुरब्बा तकरीबन 10 से 12 ग्राम ले और बच्चों को आधी मात्रा यानि तक़रीबन 5-6 ग्राम दें | प्रातः यानि सुबह-2 खाली पेट खूब चबा-चबाकर खाने से और उसके 1 घंटे बाद तक कुछ भी ना लेने से मस्तिष्क के ज्ञान तंतुओ को बल मिलता है और स्नायु संस्थान यानी नर्वस सिस्टम शक्तिशाली बनता है |
सावधानिया :-
1) मधुमेह यानि शुगर के रोगी इसे न ले |
2) अधिक मात्रा मैं शहद खाना शरीर के लिए हानिकारक होता है |
धन्यवाद
1 Comment
RK
(December 23, 2018 - 1:00 pm)very nice article.