अर्जुन की छाल की तासीर | Arjun Ki Chhal Ki Taseer
अर्जुन की छाल की तासीर ( Arjun Ki Chhal Ki Taseer ) के बारे में अलग-२ जगह पर अलग-२ जानकारी दी गई है। कुछ जगह पर अर्जुन की छाल की तासीर (Arjun ki Chaal ki Taseer) को गर्म कहा गया है और कुछ जगह पर शीतल यानि ठंडी। बहुत से लोग अर्जुन की तासीर को गर्म मानते है और बहुत से ठंडी।
यदि आप किसी वैध या डॉक्टर की सलाह के किसी भी औषधि का सेवन करने जा रहे तो कम से कम आपको उसकी तासीर की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।
आपका वैध या डॉक्टर आपसे पूछे गए प्रश्नो के आधार पर आपके शरीर की तासीर की जानकारी प्राप्त करता है और तय करता है की आपके लिए कौन सी औषधि उपयोगी रहेगी और इसीलिए हम आपको बिना किसी वैध या डॉक्टर की सलाह के किसी भी औषधि लेने की सलाह नहीं देते क्योंकि चाहे एलोपेथी हो या आयुर्वेदिक, कोई भी औषधि आपको नुकसान पंहुचा सकती है क्योंकि औषधि हमेशा अपने शरीर की तासीर के अनुसार ही लेनी चाहिए।
शरीर की तासीर | Sharir Ki Taseer
हमारा शरीर पांच तत्व जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि और आकाश से बना हुआ है और इन्ही पांच तत्वों से बने है हमारे तीन दोषा वात, पित्त और कफ।
ये तीनो दोषा हमारे शरीर में होते है लेकिन आयुर्वेद कहता है इनमें से एक दोषा अन्य दो दोषा के मुकाबले हमारे शरीर में अधिक होता है और जो दोषा हमारे शरीर में अधिक होगा वो ही हमारे शरीर की प्रकृति होगी, हमारे शरीर की तासीर होगी।
इसलिए यह सही-२ जानना अत्यंत आवश्यक है की
अर्जुन की छाल की तासीर कैसी होती है? | Arjun ki Chhal ki Taseer Kaisi Hoti Hai?
आयुर्वेदा इस बारे में क्या कहता है ?
भावप्रकाश आयुर्वेद का एक मूल ग्रन्थ है। भावप्रकाश में आयुवैदिक औषधियों में प्रयुक्त वनस्पतियों एवं जड़ी-बूटियों का वर्णन है। भावप्रकाशनिघण्टु भावप्रकाश का एक खण्ड है | इस किताब को देखकर बड़ी-बड़ी कंपनियां फार्मूला तैयार करती हैं, दवाइयां बनाती हैं और आप तक पहुंचाती है और आप को स्वस्थ बनाने में आपकी मदद करते हैं |
उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि अर्जुन की छाल की तासीर शीतल यानि अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होती है | अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होने के कारण यह शरीर को ठंडा रखती हैं इसलिए यदि इसका रोज सेवन किया जाए तो मुंह में छाले होने की सम्भावना खत्म हो जाती हैं।
अर्जुन का पेड़ की छाल का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर अर्जुन की छाल का स्वाद कसैला होता है। इसके विभिन्न औषधीय गुणों में से एक गुण पेट साफ़ करने का भी है |
अर्जुन की छाल हाई BP और डायबिटीज को कन्ट्रोल करने के साथ-२ कोलेस्ट्रोल, ट्राईग्लिसाराईड को ठीक करती है, कान दर्द, सूजन, बुखार का उपचार करती है, मोटापा कम करती है, हार्ट में अर्टेरिस में अगर कोई ब्लोकेज है तो उस ब्लॉकेज को भी खोलने की क्षमता रखती है।
जिनका दिल कमजोर है उन व्यक्तियों के लिए तो अमृत के समान है अर्जुन की छाल | अर्जुन की छाल के सेवन से दिल की मांसपेशियों को ऊर्जा मिलती है, हृदय को अच्छा पोषण मिलता है। साथ ही, इससे हार्ट रेट भी बेहतर होता है। इसके अलावा यह खून को बगैर दवा लिए प्राकृतिक रूप में पतला करने भी औषधि है। इसके सेवन से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी पैदा नहीं होती है।
क्या अर्जुन की छाल की तासीर गर्म होती है?
भावप्रकाश आयुर्वेद का एक मूल ग्रन्थ है। उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि अर्जुन की छाल की तासीर शीतल यानि अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होती है | अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होने के कारण यह शरीर को ठंडा रखती हैं इसलिए यदि इसका रोज सेवन किया जाए तो मुंह में छाले होने की सम्भावना खत्म हो जाती हैं।
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