बच्चो का फैसला
जुगनू ने अपनी गुल्लक से रुपए निकालने पूरे 300 थे | वह खुशी से बोला- “वह इस बार मजा आएगा जितने पटाखे मैं लेकर आऊंगा शैरी के पास तो उससे आधे भी नहीं होंगे |”
शैरी जुगनू का दोस्त था | दोनों दोस्त दिवाली पर अलग-अलग तरह के पटाखे खरीदने की योजना बना रहे थे |
“मैं भी इस बार स्पेशल रेल गाड़ी वाला पटाखा लाऊंगा | जब धागे से बंधी है रेलगाड़ी इधर-उधर दौड़ेगी तो देखने वाले दंग रह जाएंगे | 5 दर्जन बम, महताबी डिबिया, फुलझड़ियां, छतरी वाला बम, कई दिनों तक खत्म नहीं होगी मेरी आतिशबाजी |” स्कूल में खेलते समय
शैरी ने जुगनू से कहा |
घर को वापस आते समय दोनों दोस्तों ने गगन से पूछा, “तुम कौन कौन सी आतिशबाजी ला रहे हो ?”
गगन तपाक से बोला, ” मैं तो भाई एक सो बमों वाली लड़ी लाऊंगा | जब वह तड़-तड़ कड़-कड़ करती हुई चलेगी, तो गली मोहल्ले वालों को बहरा ना कर दिया तो कहना ? पापा से मैंने रुपए भी ले लिए हैं |”
आखिर दिवाली का दिन आ ही गया | सुबह से ही बाजार में खूब चहल-पहल थी | दुकानदारों ने आतिशबाजी को अपनी-अपनी दुकानों के आगे खूब सजाया हुआ था | शाम हुई तो शैरी ने आकर जुगनू के घर की घंटी दबा दी |
जुगनू बाहर आया तो शैरी एकदम उससे बोला, ” जुगनू 5:00 बज चुके हैं | पटाखों की गूंज तेज हो रही है | चलो हम भी आतिशबाजी खरीदने चलते हैं |”
” चलते है यार | अभी-अभी गगन का भी फोन आया है | वह भी अपने साथ आएगा | बस 5 मिनट में आ रहा है |” जुगनू बोला |
शैरी एकदम बोला, ” मैं अच्छी तरह से जानता हू की गगन के 5 मिनट कितने बड़े होते हैं | मैं खुद ही लेने जाता हूं उसको | तुम बस अपनी तैयारी रखना |”
यह कहकर शैरी एकदम बाहर निकला और अपनी साइकिल पर उसके घर की तरफ रवाना हो गया | अभी शैरी को गए हुए कुछ ही क्षण हुए थे कि अचानक ही जुगनू के घर में उसको विज्ञान विषय पढ़ाने वाली अध्यापिका श्रीमती तेजिंदर कोर ने प्रवेश किया | उनके हाथ में एक समाचार पत्र था |
मैडम ड्राइंग रूम में आ कर बैठ गई |
“जुगनू|” मैडम बोली, “मैं तुम्हारे भले की बात कहने आई हूं | यह मत सोचना कि मैडम दिवाली के दिन मन खराब करने के लिए आ गई |”
जुगनू उन्हें पानी का गिलास देकर पास ही सोफे पर बैठ कर बोला, “क्या बात है मैडम जी?”
मैडम ने पूछा, “पहले तुम बताओ कि तुम पटाखे खरीद लाए हो या नहीं?”
“नहीं मैडम|” वह बोला “हम अभी खरीदने के लिए जाने ही वाले थे |”
“कितने रुपए के पटाखे खरीदोगे?” मैडम ने पूछा |
“300 रुपये के |”जुगनू ने उत्तर दिया |
” अब मेरी बात सुनो |” यह कहकर मैडम ने पानी का गिलास पिया और खाली गिलास को मेज पर रख कर बोली, ” देखो जुगनू कुदरत ने हम सभी के बचाव के लिए ‘ स्पेस ‘ में एक छाता ताना हुआ है जिसे हम ‘ ओजोन की परत ‘ कहते है यह परत ऑक्सीजन से बनी हुई है | शायद तुम्हें अभी पता ना हो | फैक्टरिओ और गाड़ियों में से निकलने वाला जहरीला धुआँ ओज़ोन की इस परत को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है | इसी कारण इस छाते में बड़े-बड़े छेद हो गए हैं | “
“फिर तो मैडम जी आज लाखों-करोड़ों पटाखे चलेंगे | उनका धुआँ तो इस छाते को और भी नुकसान पहुंचा सकता है |” जुगनू अपना डर प्रकट किया |
मैडम तेजिंदर कोर एकदम बोली, ” बिल्कुल ठीक कहा तुमने|”
इसके साथ ही उन्होंने एक प्रश्न भी जुगनू से कर दिया, ” यदि फैक्ट्रियों, पटाखों और मोटर गाड़ियों का धुआँ इस तरह ही निकलता रहा तो मालूम है क्या होगा?”
जुगनू ने ‘ ना ‘ में सर हिला दिया |
” इस अत्यंत धुएं के कारण ओज़ोन-छाते में पड़ चुके छेद और भी बड़े हो जाएंगे | परिणाम यह होगा कि सूर्य की पराबैगनी घातक किरणें फसलों और पशु पक्षियों को ही नहीं बल्कि सारी मनुष्य जाति को बर्बाद करके रख देगी | हम इस अंधाधुन प्रवृत्ति को बिल्कुल नहीं रोक सकते मगर कुछ हद तक खत्म करने का प्रयास तो करना ही चाहिए | फैसला तुम्हारे हाथ में है | पटाखे खरीदने से पहले तुम इस समाचार पत्र में छपा यह निबंध जरूर पढ़ लेना |”
और मैडम जुगनू के हाथ में समाचार पत्र पकड़ा कर चली गई | समाचार पत्र में छपा निबंध जुगनू पढ़ने लगा | ज्यो-2 वह निबंध पढ़ते जा रहा था, उसकी आंखें खुलती जा रही थी |
“क्या पढ़ने में व्यस्त हो जनाब ? अब इसे छोड़ो और जल्दी चलो पटाखे खरीदने | देखो गगन को भी ले आया हू |” शैरी ने घर में प्रवेश करते हुए कहा |
“सॉरी शैरी ! अब में पटाखे खरीदने नहीं जाऊंगा |” जुगनू ने कहा |
“क्या?” दोनों एकदम चौक पड़े |
” पहले तुम यह निबंध पढ़ो, फिर अपना फैसला बताना |” इतना कहकर जुगनू ने शैरी की तरफ समाचार पत्र बढ़ा दिया | शैरी और गगन आश्चर्य से वह निबंध पढ़ा | ज्यो-2 वह दोनों निबंध पढ़ रहे थे, उनके विचार बदलते जा रहे थे |
गर्म लोहे पर चोट लगाता हुआ जुगनू बोला, ” अब चले पटाखे खरीदने ?”
गगन बोला, ” इन पटाखों का धुआँ इतना खतरनाक भी हो सकता है ? इसके बारे में तो पहले कभी इतना बढ़िया निबंध पढ़ा ही नहीं था |”
” क्या फैसला किया शैरी ?” इस बार जुगनू ने शैरी की तरफ मुड़ते हुए पूछा |
” जो तुम्हारा फैसला है |” शैरी बोला |
” चलो इन रुपयों को किसी अच्छे काम के लिए अपनी-अपनी गुल्लक में डाल दें |” जुगनू ने कहाँ |
बच्चो ने अभी यह फैसला किया ही था की पड़ोस में चीख पुकार सुनाई दी |
पता चला कि जब रामू की मम्मी के घर में काम करने के बाद अपने घर लौट रही थी तो किसी नटखट लड़के ने एक बड़े बम में आग लगाकर गली में फेंक दिया | उस बम के कुछ एक कण रामू की मम्मी की आँखों में पड़ गए थे | उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया | उन्हें तुरंत ही पास के एक अस्पताल में ले जाया गया |
कुछ ही क्षणों के पश्चात तीनों दोस्त अपने-अपने रुपए लेकर अस्पताल में बैठे रामू के पिताजी को देने के लिए घर से रवाना हो गए |
स्वामी विवेकानंद के जीवन का प्रसंग …..OSHO
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