प्रायः बवासीर मानव गुदा में होने वाली बीमारी मानी गई है। जिसमे गुदा की शिराए खून भरने से फूल जाती है। जिन्हे बवासीर के मस्से कहते है। जिन पर चलने – फिरने आदि से रगड़ लगने पर अत्यधिक दर्द होता है। जिसके लिए बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय करने पड़ते है। तब जाकर कही बवासीर के मस्सो में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है।
बवासीर के मस्से जितने पुराने हो जाते है। उनमे होने वाले दर्द उतना ही अधिक होता जाता है। जिसका मुख्य कारण बवासीर के मस्सो का नियमित तौर पर, संक्रमित होकर कडा होना और बढ़ना है। जिससे इनके आकार, रंग और गुदा की सूजन में बदलाव आना प्रमुख रूप से देखा जाता है।
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गुदा के बाहर होने वाले अधिकतर मस्से दिखाई पड़ते है। जिससे इन मस्सो का इलाज बवासीर की दवाई, लेप, धूप आदि द्वारा आसानी से हो जाया करता है। परन्तु गुदा के भीतर पाए जाने वाले मस्से आसानी से नहीं दीखते। जिसके कारण इनकी चिकित्सा विधि भी बड़ी कठिनाई से ही हो पाती है। जिसमे आजकल बवासीर के ऑपरेशन को ही, इनका एकमात्र इलाज माना जाता है।
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बवासीर क्या होता है ( bawasir kya hota hai )
बवासीर को हेमोर्रोइड्स एवं पाइल्स आदि नामो से भी जाना जाता है। जिसमे मानव गुदा में पायी जाने वाली शिराए खून से भरकर फूल उठती है। जिनको बवासीर कहा जाता है। जिन पर सौत्रिक तंतुओ का लगातार आवरण बनता रहता है। जिसके कारण इन पर रगड़ लगने से अत्यधिक दर्द होता है।
हालांकि जब तक बवासीर के मस्से कुपित नहीं होते, तब इन मस्सो के स्थान पर भारीपन, खुजली आदि का अनुभव होता है। जिसमे बवासीर के मस्से फूले हुए नहीं होते। किन्तु प्रकुपित होते ही यह मस्से फूलकर बड़े हो जाते है। जिससे चलते – फिरते, उठते – बैठते समय इन पर रगड़ लगती है। जिसमे दर्द होने के साथ यह कठोर और कड़े होकर बढ़ने लगते है।
आयुर्वेदानुसार मांस के जो मस्से गुदा में रुकावट कर मृत्यु के सामान पीड़ा देते है। उन्हें बवासीर रोग कहा जाता है। मांस के यह मस्से अधिक पुराने होकर, ट्यूमर अथवा कैंसर में भी बदल सकते है। जिसके कारण बवासीर का समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है।
बवासीर क्यों होता है ( bawasir kyu hota hai )
मानव मलाशय में पायी जाने वाली शिराए श्लेष्मकला से युक्त होकर, गुदनलिका में लम्बाई की ओर फ़ैली रहती है। जिनमे कपाट नहीं होता। जिससे विबंध, कब्ज आदि से पीड़ित व्यक्ति को मल त्याग के लिए जोर लगाना पड़ता है। जिससे इन शिराओ में गए हुए खून को वापस लौटने का मार्ग नहीं मिल पाता।
इसी तरह प्रतिदिन बार – बार होते रहने पर, मानव गुदा की शिराओ में खून जमा होने लगता है। जो आगे चलकर बवासीर के मस्सो के रूप में दिखाई पड़ता है। जो यकृत में सिरोसिस, अधिक समय तक बैठकर काम करने, मद्यपान करने आदि में भी पाया जाता है। जिसके कारण गुदा की शिरा के अंतिम भाग खून से भरकर फूल आते है। जिनमे सौत्रिक धातु का लगातार आवरण बनते रहने से, खून भरने से फूला हुआ भाग अधिक दुखदायी हो जाता है। जिसका इलाज करने में बवासीर के घरेलू उपाय अत्यंत कारगर है।
बवासीर के लक्षण ( bawasir ke lakshan )
देह प्रकृति और प्रभावित दोष के अनुसार, अलग – अलग लोगो में पाइल्स के लक्षण अलग तरह से अभिव्यक्त होते है। सामान्यतया बवासीर के रोगियों में निम्न लक्षण देखे जा सकते है –
⦁ मलद्वार पर भारीपन का एहसास होना
⦁ मलद्वार में खुजली होना
⦁ गुदा द्वार में चुभन होना
⦁ गुदा द्वार में भीषण जलन होना
⦁ पेट में कब्ज रहना
⦁ मल का सूखा, काला और बहुत कडा होना
⦁ मलत्याग के समय गुदा में दर्द होना
⦁ मल में खून आना
⦁ पेट साफ़ होने में कठिनाई होना
⦁ पाचन क्षमता का कमजोर होना
⦁ गुदा में गाँठ या मस्से निकलना
⦁ मलत्याग के समय गुदा से खून आना
⦁ मल – मूत्र का रुक – रुक कर होना
⦁ चलते – फिरते, उठते – बैठते समय गुदा में दर्द होना, आदि।
बवासीर के प्रकार ( bawasir ke prakar )
आयुर्वेदानुसार बवासीर दो प्रकार की कही गई है। जिनको सहज और कालज दो नामो से जाना जाता है। जिसमे सहज बवासीर असाध्य बवासीर है, जो स्वाभाविक रूप से माता – पिता के गुण सूत्रों से प्राप्त होती है। जैसे – भूख, प्यास आदि। जिसको किसी भी तरह उपचारित नहीं किया जा सकता। जबकि कालज बवासीर के 5 प्रभेद बतलाये गए है। जिनका प्रकांतर से दो में सन्निवेश हो जाता है –
बादी बवासीर : वात और कफ दोषो से आक्रांत होने वाली बवासीर, बादी या मस्से वाली बवासीर कहलाती है। जिसके मस्से आकर में बहुत बड़े, चिकने, मोठे और चपटे होते है। जिसमे शूल के सामान चुभन जैसा भीषण दर्द होता है। यह प्रायः गुदा के बाहर पाए जाते है। जिनमे से किसी प्रकार का स्राव नहीं होता, बल्कि सहन न होने वाली खुजली होती है।
खूनी बवासीर : इस बवासीर के मस्से प्रायः गुदा के भीतर पाए जाते है। जो आकार में छोटे, किन्तु पित्त दोष से प्रभावित होने के कारण अत्यंत जलनकारी होते है। इन बवासीर के मस्सो से हमेशा कुछ न कुछ स्राव हुआ करता है। जिसमे मवाज और खून या दोनों हो सकते है।
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बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय ( Bawaseer Ke Masse Sukhane Ke Upay)

बवासीर रोग मुख्यतः मलाशय, गुदनलिका और गुदौष्ठ को प्रभावित करता है। जोकि बड़ी आंत के चरम भाग में पाए जाते है। यह तीनो लगभग चार अंगुल लम्बी, टेढ़ी और उभरी हुई शंख के आकार की एक के ऊपर एक पायी जाती है। एक प्रकार से यह गुदा की शिरा के अंतिम भाग है। जिनमे होने वाली बवासीर के उपचार के चार तरीके है –
⦁ क्षार कर्म
⦁ अग्नि कर्म
⦁ शल्य क्रिया
⦁ औषधि उपचार
इन सभी को बवासीर उपचार का उत्तरोत्तर उत्कृष्ट उपाय माना गया है। जिसके कारण औषधि उपचार का सर्वत्र प्रचार और प्रसार है। जिससे यह सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली विधि है। जो आसानी से कष्ट रहित उपचार है, लेकिन सावधानी और बुद्धिपूर्वक होने से श्रेष्ठ है। जिससे सभी प्रकार के बवासीर का सफलता पूर्वक उपचार हो जाता है।
इसमे बवासीर को उपचारित करने के लिए, दिव्यौषधियो का प्रयोग किया जाता है। जिसमे से कुछ दवा के रूप में सेवनीय है, तो कुछ लेपन, स्वेदन और धूपन करने वाली है। जिससे बवासीर के मस्से हमेशा के लिए सूखकर झड़ जाते है।
बवासीर के घरेलू उपाय ( bawasir ke gharelu upay )
बवासीर के मस्से का इलाज करने में घरेलू नुस्खे अत्यंत उपकारक है। जो एक प्रकार से बवासीर के मस्से सुखाने की आयुर्वेदिक दवा के जैसे है। जिसका अधिगम प्राप्त होते ही बवासीर के मस्से नष्ट होने लगते है। अक्सर यह जितने छोटे होते है, इनका प्रभाव उतना ही अधिक प्रभावी होता है। कुछ प्रसिद्द और गुणकारी बवासीर के घरेलू उपाय निम्न है –
⦁ ऐसी बवासीर जिनके मस्से आकार में बड़े, रंग में सफ़ेद, मोठे चिकने और चिपटे होते है। उनमे प्रतिदिन खाली पेट सोंठ का काढ़ा पीना हितकारी है।
⦁ काले तिल और शुद्ध भिलावे को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले। जिसका प्रतिदिन 5 – 10 ग्राम की मात्रा में मठ्ठे, गुनगुने दूध या शीतल जल से सेवन करने पाचन शक्ति बढ़ती है। साथ ही साथ सभी तरह की बवासीर जड़ से समाप्त हो जाती है।
⦁ मधु को ताजे मक्खन में मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट हो जाती है।
⦁ एरंड तेल को दूध में मिलाकर पीने से, बवासीर का सूखा मल आसानी से बाहर निकलने लगता है।
⦁ सोंठ, शुद्ध भिलावा और विधारे के शुद्ध बीज का चार तोला और पुराना गुड़ 24 तोला लेकर सबको अच्छी तरह मिलाकर लड्डू बना ले। यह योग सभी तरह के बवासीर को समाप्त कर, वृद्ध पुरुष को भी बलशाली बना देता है।
⦁ 5 ग्राम कचनार की जड़ के चूर्ण को मठ्ठे के साथ पीने से बवासीर नष्ट होने लगती है।
इन सभी औषधियो के साथ पथ्य – अपथ्य का पालन परम आवश्यक है। जिसका विधि पूर्वक सेवन करने पर जल्दी ही हम बवासीर से मुक्त हो जाते है।
उपसंहार :
बवासीर को नष्ट करने में बवासीर के घरेलू उपाय बहुत ही उपयोगी है। जो सभी तरह के बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय भी है। पंरतु इनके साथ अपनी जीवनशैली में बदलाव करना भी आवश्यक है। जिसका मूल कारण देहगत दोषो में असंतुलन होना है। जिसको संतुलित करने में खान – पान, आहार – विहार का ध्यान रखना अनिवार्य है।

ध्यान रहे : यहां पर बताये गए सभी उपाय चिकित्सीय सलाह नहीं है। बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाना इनका एकमात्र उद्देश्य है। इसमें बताये गए किसी भी उपाय को अपनाने से पूर्व, चिकित्सीय परामर्श अवश्य ले।
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