बेल के फायदे || Bel ke fayde
बेल की शाखाएं सीधी होती है | इन पर लगभग 1 इंच लंबे सीधे मोटे और तीखे कांटे होते हैं | जंगली पेड़ के फल छोटे और कांटे ज्यादा होते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र में पैदा होने वाले बेलपत्र के फल बड़े और कांटे कम होते हैं | इसके डंठलों में एक साथ तीन-तीन पत्ते जुड़े होते है | शुरू में छोटे गोल व हरे होते हैं तथा इनमे बीज नहीं होते और समय के साथ वह धीरे-धीरे बड़े हो जाते हैं |
बेल की ऊपरी परत पकने पर कठोर हो जाती है साथ ही इसका गूदा भी गहरा पीला सुगंध युक्त हो जाता है | इसके पीले पीले गुर्दे में कुछ मोटे बीज और चारों तरफ गाढ़ा चिपचिपा रस हो जाता है |
अनेक गुणों और विशेषताओं से युक्त बेल का वृक्ष सारे भारत में पाया जाता है | फलों में बेल को महत्वपूर्ण समझा गया है इसका आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है | भारतीय औषधियों में बेल का महत्वपूर्ण स्थान है | धार्मिक महत्व के कारण इसे मंदिरों के बगीचे में लगाया जाता है विशिष्ट शिव मंदिर के निकट शिवलिंग पर बेल के पत्ते चढ़ाये जाते है |
इसे संस्कृत में बिल्ब, हिंदी में बेल, श्रीफल, मराठी में बेल, गुजराती में बिली, बंगला में बेल, तेलुगु में मारेडू, तमिल में विल्वम, मलयालम में कुवलप, कन्नड़ में बेलपत्र, बेल्लु, फारसी में बेह, हिंदी तथा अंग्रेजी में बेल (Bael) कहते हैं | इसका लेटिन नाम ईगल मारमोलोस है |
इस वृक्ष का फल ही नहीं पत्ते, मूल, बीज, छाल सभी गुणों में पूर्ण है | चिकित्सा के क्षेत्र में बेल के कच्चे व पके फल, पत्ते, फूल, जड़, छाल सभी का प्रयोग किया जाता है | बेल चूर्ण बनाने के लिए पक्के फल का गूदा उपयोग में लाया जाता है |
मधुमेह की चिकित्सा में इसके पत्तों का उपयोग किया जाता है | जहां अन्य फल पकने पर गुणकारी होते हैं वही बेल की विशेषता है कि यह कच्चा गुणकारी होता है | कच्चा बेल कब्ज नाशक, मलरोधक, कषाय, कड़वा, रुख, अग्नि वर्धक, पित्त जनक, वात तथा कफ का नाश करने वाला, बलकारक, हल्का, गमन और पाचक होता है |
पक्का बेलपत्र फल मधुर, सुगंधित, भारी, विदाही, दुर्जर, दोषकारी, अनुलोमकारी एव दुर्गंध युक्त अधोवायु पैदा करने वाला होता है |
बेल फल के गूदे में कैरोटीन 55, थायमिन 0.13, राइबोफ्लेविन 0.03, नियासिन 1.1 विटामिन सी 8 और म्यूसिलेज, पेक्टिन, शर्करा, टेनिन, उड़नशील तेल, निर्यास, भस्म आदि के अलावा मार्मेलोसिन नामक एक क्रियाशील द्रव्य होता है | इसके बीजों में हल्का पीले रंग का तेल पाया जाता है | बेल खनिज तत्व और विटामिंस का भंडार है |

बेल के गुण || Bel ke Gun
- कच्चा फल मल बांधने वाला होते हुए भी पाचक होता है |
- यह अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे जीर्ण और असाध्य रोगों में भी काम आता है |
- यह आंतों की कार्य करने की शक्ति बढ़ाता है |
- हैजा, वातरोग, व ज्वर में भी लाभप्रद है |
- पका फल हृदय के लिए हितकारी मधुमेह और श्वास रोगों में उपयोगी है |
- पके फल का गुदा मृदु, विरचक होता है |
- इसके पथ पत्तों की सेवन से चयापचय कार्य ठीक तरह से होता है |
- इसके पत्ते वातशामक, शोधनाशक, ज्वरनाशक, ग्राही और शूलनाशक होते हैं |
- इसकी जड़ वातनाड़ी संस्थानों के लिए शामक, मधुर और वात नाशक होती है |
- बेल पवित्रता के साथ-साथ इन्हीं गुणों के कारण औषधीय का भंडार भी है |
बेल का उपयोग लगातार ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए अन्यथा हानिकारक सिद्ध हो सकता है इससे पेट में गैस बनती है
विभिन्न रोगो में बेल के फायदे और प्रयोग के तरीके
मुख के रोग से जुडी बीमारीओं से बचाव में सहायक (Bel ke Fayde)
मुंह आने पर
मुंह आने पर बेल के गूदे को पानी में उबालकर तीन-चार दफा कुल्ला करने से फायदा होता है |
स्वस्थ मसूड़ों के लिए बेल के फायदे
कच्चे बेल का शरबत और दूध संभाग मिलाकर आधा-आधा कप सुबह-शाम पीने से मसूड़े स्वस्थ रहते हैं | इसका सेवन करना मसूड़ों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
पेट के रोग से जुडी बीमारीओं से बचाव में सहायक :- बेल (Bel ke Fayde)
खूनी दस्त – आंवशूल
आयुर्वेदा में बेल दस्त और डायरिया में बहुत फायदेमंद माना गया है | कच्चे बेल का गूदा व गुड़ संभाग मिलाकर दिन में दो-तीन बार रोगी को दें | खूनी दस्त व पेचिश में लाभ होगा |
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पेट के कीड़े दूर करने में बेल पत्ते खाने के फायदे
अगर आप भी पेट के कीड़ो से परेशान है तो बेल के पत्तों का रस एक-एक चम्मच सुबह-शाम पीजिये। इसके सेवन से पेट के कीड़े मर जाते हैं | पेट के कीड़ों से छुटकारा पाने का यह असरकारक उपाय है |
दस्त में बेल चूर्ण के फायदे
- 5 ग्राम बेलगिरी का चूर्ण एक चौथाई ग्रेन अफीम मिलाकर दिन में 4 बार लेने से दस्त में फायदा पहुँचता है।
- कच्चे बेल का काढ़ा पीने से पतले दस्त बंद हो जाते हैं |
कब्ज में बेलपत्र के फायदे
यह एक रेचक के रूप में बेल बहुत ही फायदेमंद होता है। यह कब्ज को दूर करने में सहायक होता है। 100 ग्राम बेल का गूदा रात को खाने से आंतों का मल मुलायम होकर आसानी से बाहर आता है | यदि खुश्की अधिक हो तो गूदे में मिश्री या शक्कर मिलाकर उसका प्रयोग करना चाहिए |
अतिसार में बेलपत्र के फायदे (Bel ke Fayde)
25 ग्राम सुखी बेलगिरी, 10 ग्राम कत्थे को कूटकर, पीसकर, चूर्ण बना ले, मिश्री मिलाकर एक 1 ग्राम दिन में थी चार बार ताजे पानी के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के अतिसार में लाभ होता है |
बच्चों के अतिसार में बेल का मुरब्बा
- सुखी बेलगिरी के टुकड़ों को साफ पत्थर पर सौंफ का अर्क डालकर घिस लें | चौथाई से आधे चम्मच की मात्रा तक बच्चों को दो-तीन बार चटाये | इसमें जरा सी चीनी और शहद जरूर मिला ले |
- पित्त के कारण होने वाले दस्त में बेल का मुरब्बा लाभ करता है |
- बच्चों के आंव मिले दस्तों में कच्चे बेल को आग में भूनकर, उसका गुदा दिन में 3-4 बार पिलाएं, दस्त बंद हो जाएंगे |
पेचिश में बेल के फायदे (Bel ke Fayde)
50 ग्राम सुखी बेलगिरी, 30 ग्राम धनिया पीसकर कपट छान करें | इसमें मिश्री मिलाकर 45 ग्राम की मात्रा में चावल के धवन के साथ तीन बार सेवन करने से पेचिश, दस्त तथा गर्मी के कारण होने वाले दस्तों में लाभ होता है |
आमातिसार में बेल का मुरब्बा के फायदे
बेल का मुरब्बा 10-10 ग्राम सुबह-शाम प्रयोग करने से आमातिसार में लाभ होता है |
पुराना आमातिसार
बेल के कच्चे फल को कंडे की आग में भूनकर छिलका सहित कूटकर रस निचोड़ ले | रस में मिश्री मिलाकर दो दो चम्मच सुबह-शाम पीने से लाभ होता है |
संग्रहणी बेल के चूर्ण के फायदे
- जब खून के साथ और बहुत वेग पूर्ण संग्रहणी हो तो कच्चे बेल के चूर्ण को एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो से 4 बार लेने से लाभ होता है |
- पके बेल को दही में भूनकर, गूदे में कच्ची शक्कर मिलाकर 50 ग्राम की मात्रा रोजाना दूध के साथ लेने से पुरानी संग्रहणी मिट जाती है |
अपच में बेल के फायदे (Bel ke Fayde)
पका हुआ बेल खाने से अपच दूर होता है | यह एक तरह के जुलाब का कार्य करता है |
अल्सर में बेल पत्ते खाने के फायदे
इसके नियमित सेवन से अल्सर समाप्त हो जाता है | बेल की पत्तियों को रात को पानी में भिगोकर, प्रातः उस पानी को पीने से कुछ हफ्ते में पेट का अल्सर व सूजन ठीक हो जाते हैं |
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कान व आंख के रोगो में बेल के फायदे
कर्ण रोग में Bel Patra ke Fayde
100 ग्राम कच्ची बेल की गिरी, 500 मिलीग्राम सरसों का तेल और बकरी का दूध 2 लीटर, थोड़ा सा गोमूत्र ले | बेल के गूदे को गोमूत्र में पीसकर लुग्दी बना लें | कलीदार कढ़ाई में सबको डालकर हल्की आंच पर पकाएं | जब लुगदी लाल हो जाए तब उतारकर छान लें | तेल को दो-दो बूंद कान में डालकर रुई लगा ले | इससे कान में दर्द, कर्णस्राव, बधिरता आदि कान के रोग मिटते हैं |
बहरापन में Bel ke Fayde
बेल के गूदे को गोमूत्र में पीसकर, तिल या सरसों के तेल में पकाइये । इस गुनगुनाते हुए तेल की दो-दो बूंद सुबह-शाम कान में डालें | बहरापन दूर हो जाएगा |
नेत्र रोग में Bel ke Patte ke Fayde
नेत्र रोगों में बेल के पत्तो (Bel ke Patte) का रस व अनिद्रा में बेल की जड़ का चूर्ण लाभकारी है |
रतौंधी
बेल की पत्ती पीसकर, चीनी मिलाकर पीने से रतौंधी अच्छी हो जाती है |
स्त्री रोग में बेल के फायदे (Bel ke Fayde)
गर्भवती का वमन दूर करने में फायदेमंद बेल
इसके कच्चे फल को गुर्दे में पीसकर मांड के साथ मिलाकर आधा-आधा कप सुबह-शाम पिलाने से उल्टी होना बंद हो जाती है |
प्रदर रोग में Bel ke Fayde
बेलगिरी, नागकेसर व रसोत 10-10 ग्राम पीस लें | एक चम्मच चूर्ण चावल के मांड के साथ लेने से श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर में लाभ होता है |
अन्य रोग में Bel ke Fayde और उपयोग का तरीका
दिमागी गर्मी में Bel
बेल के पत्तों को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से दिमाग की गर्मी, आंखों की जलन व आँखों से पानी गिरना बंद हो जाएगा |
बहुमूत्र
10 ग्राम बेलगिरी और 5 ग्राम सोंठ, 400 ग्राम पानी में उबाले | 50 ग्राम पानी रह जाने पर छानकर एक चम्मच दिन में दो बार पीने से लाभ होगा |
प्यास की तेजी
गर्मी में प्यास ना बुझने पर 20 ग्राम बेल का गूदा 100 ग्राम पानी में इतना उबाले की पानी आधा रह जाए | उसमें नमक मिलाकर पी जाएं | यह गर्मियों में बार-२ लगने वाली प्यास में काफी फायदेमंद होता है |
गले का दर्द
गले के दर्द को दूर करने के लिए पक्की बेल का गूदा दिन में दो-तीन बार प्रयोग करें |
नपुसंकता
12 बेल के पत्ते, दो बादाम, ढाई सौ ग्राम मिश्री को आधा किलो पानी में उबालकर शरबत बनाकर सुबह-शाम 1 महीने तक पीने से नपुसंकता दूर हो जाती है |
फोड़ा
बेल के हरे पत्ते पीसकर, लुगदी गरम करके फोड़े पर बांधने से यह पक्का फूट जाएगा | साथ में 25 ग्राम बेल के पत्तों के रस की मात्रा दिन में तीन बार लगाएं |
रक्त अल्पता यानि खून की कमी
बेल के सेवन से हम आयरन की पूर्ति कर सकते हैं, क्योंकि बेल फल में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो एनीमिया को ठीक करने में मदद कर सकता है | मीठे दूध में 5 ग्राम बेलगिरी का चूर्ण मिलाकर पीने से खून की कमी दूर हो जाती है |
कुत्ता खांसी
बेल के पत्तों को गर्म तवे पर जलाकर पीस लें | शहद में 1-2 ग्राम मात्रा मिलाकर चाटे, लाभ होगा |
पुराना सुजाक
बेल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो सूजन कम करने में सहायक होते है। रोगी को बेल का गूदा (ताजा) और कबाब चीनी को शरबत पिलाने से लाभ होता है |
शरीर की दुर्गंध
बेल के ताजे नर्म पत्तों को पीसकर इसका रस शरीर पर मल कर नहाने से शरीर की दुर्गंध दूर होती है |
बेल का शरबत
आधा किलो पके हुए बेल का गूदा 2 लीटर पानी में डालकर पकाएं | पानी जब 1 लीटर रह जाए तब 2 किलो चीनी डालकर शरबत बना ले | ठंडा होने पर छानकर भर ले | चार चम्मच 1 कप पानी में डालकर 1 दिन में दो-तीन बार प्रयोग करने से प्रवाहिका, रक्तातिसार, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर रोगों में लाभ होता है | यह हृदय को बल प्रदान करता है और अवसाद को नष्ट करता है |
दमा
बेल के पत्तों का काढ़ा पीने से दमा में लाभ होता है |
ज्वर
कच्ची बेल के गूदे का चूर्ण एक-एक चम्मच सुबह-शाम लेने से लाभ होता है |
वमन, अतिसार, ज्वर व अन्य विकार ( गर्भवती के लिए)
बेल के कच्चे फल के गूदे को पीसकर चावल के धोवन में शक्कर मिलाकर, आधा कप सुबह-शाम पिलाने से आराम मिलता है |
बवासीर
बवासीर होने की मुख्य वजह में कब्ज और भोजन में फाइबर की कमी भी होती हैं। बेल फाइबर से भरपूर होता है। बेल का रस पीने से बवासीर के मस्से सूख जाते हैं और बादी का कष्ट मिट जाता है |
सिर दर्द
बेल की सूखी जड़ पत्थर पर पानी के साथ खींचकर मस्तिष्क पर लेप करने से सिर दर्द पूरी तरह से बंद हो जाता है |
सिरदर्द || अनेक रोगों का कारण और लक्षण || आसान घरेलू इलाज
मूत्रावरोध
कच्चे बेल का गूदा पीसकर, दूध के साथ घोटकर, छानकर, आधा चम्मच चीनी मिलाकर आधा-आधा कप सुबह-शाम पीने से पेशाब की रुकावट खत्म होती है |
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कांख की दुर्गंध
बेल व हरड़ समान मात्रा में पीस लें | रोजाना नहाने के बाद इसे कांख में लगाएं | कांख की दुर्गन्ध दूर करने का यह एक प्रभावशाली तरीका है।
दिमागी थकान
एक पके फल का गूदा, मिट्टी के बर्तन में डालकर, पानी भरकर, कपड़े से ढक दें | सुबह छानकर शहद मिलाकर पिए |
पीलिया-सूजन
बेल के पत्तो का रस, काली मिर्च मिलाकर दिन में 3 बार ले | लाभ होगा |
घाव
बेलपत्र पानी में उबालें | इसे धोने के बाद ताजे पत्ते पीसकर घाव पर बांध दीजिए | कैसा भी घाव हो, यह पीड़ा व घाव को शीघ्र ही करता है |
मधुमेह में Bel ke Fayde
- बेल के 11 पत्ते लेकर, 25 ग्राम पानी के साथ पीस लें | साथ में तीन काली मिर्च भी पीस ले | इसे कपड़े में छानकर पी जाए लगातार 49 दिन पीने से आराम होगा |
- 5 बेल के पत्ते, 29 श्यामा तुलसी के पत्ते, 11 काली मिर्च व 7 नीम के पत्ते पीसकर, एक कप पानी के साथ लेने से फायदा होता है |
- सात बेल के पत्ते, 7 काली मिर्च और 7 बदाम भीगे हुए, पीसकर, 100 ग्राम पानी में मिलाकर, सुबह-शाम पीने से रक्त में शर्करा की मात्रा घट जाती है |
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योन रोग में Bel ke Fayde
स्त्रियों के प्रदर रोग, पुरुषों में प्रमेह, धातु दुर्बलता, स्वप्नदोष आदि सभी रोगों में बेल के पत्तों का चूर्ण, शहद मिलाकर खाने और ऊपर से मीठा गर्म दूध पीने से आराम मिलता है |
हृदय रोग
हृदय के स्वास्थ्य को बनाये रखने में बेल फल का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। बेल वृक्ष के भीतर की छाल 10 तोल कूटकर, आधा किलो गाय के दूध में मिलाकर, मीठा डालकर प्रातः काल नियमित सेवन करने से लाभ होता है |
शरीर को ठंडक
बेल के गूदे में दूध, चीनी मिलाकर पीने से शरीर को ठंडक पहुंचती है और पाचन शक्ति बढ़ती है |
बच्चों के जुकाम खांसी व कब्ज
बेल के पत्तों का रस 4-5 बूंदे, जरा सा शहद मिलाकर चटाने से बच्चों को खांसी-जुकाम और कब्ज में लाभ मिलता है |
Disclaimer :-
अलग-२ शरीर की अलग-२ प्रकृति होती है, इसी कारण किसी भी रोग में इसका उपयोग किसी वैध की सलाह से ही करे अन्यथा (Bel ke Fayde) बेल फायदे की बजाए नुकसान भी पंहुचा सकता हैं । इस लेख में बेल के फायदे बता रहे हैं, क्योंकी यह लेख लिखने का मूल उद्देश्य लोगो को भारतीय चिकित्सा पद्धति आर्युवेद के प्रति जागरूक करना है । किसी भी गंभीर रोग में किसी भी नुस्खे का सेवन करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें ।
जानकारी के लिए लिखे गए इस लेख का किसी भी रोग को दूर करने के लिए उपयोग बिना किसी वैद्य या चिकित्सक की सलाह से ही करे। किसी भी तरह के नुकसान के लिए यह वेबसाइट जिम्मेवार नहीं होगी।