Lehsun || लहसुन – एक घरेलु बहुउपयोगी औषधि
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Garlic in Hindi || लहसुन
लहसुन को संस्कृत में लशुन, पंजाबी में थोम या थूम और अंग्रेजी में Garlic कहते हैं | यह एक बहूगुण संपन्न वनस्पति है जिसका उपयोग भारतीय रसोई घर में पिछले 6000 वर्षों से होता आया है | यह एक शाकाहारी मूल है, जो हमें विविध व्याधियों (Diseases) से छुटकारा दिलाती है |
वैसे गुणों की दृष्टि से कच्चा लहसुन (Raw Garlic) अधिक गुण संपन्न माना गया है | इसका उपयोग व्यवसायिक औषधियों में भी होता है | जहां तक इसके गुण संपन्नता का प्रश्न है, इसमें सभी विटामिन और खनिज तत्व विद्यमान है | इसमें पर्याप्त मात्रा में वह सभी तत्व पाए जाता है जो शरीर को शक्ति प्रदान करते है, इसीलिए इसे निर्धनों का मकरध्वज माना जाता है |
लहसुन खाने के फायदे
भारत के अलावा इसका प्रयोग चीन, यूनान, रोम, मिस्र में भी होता आया है | रूस के डॉक्टरों ने तो इसकी उपयोगिता को देखते हुए इसे वेजिटेबल पेंसिलइन (Penicillin) का नाम दिया है |
यह फेफड़ों के रोगों में, पेट फूलना, पेट के कीड़े, त्वचा के रोग व शारीरिक चोट में प्रयोग में लाया जाता है | यह जीवाणु नाशक, फफूंद विरोधी है जिसमें 32 गुण निहित है | लहसुन को एक अच्छा दर्द नाशक (Pain Killer) व ज्वर (Fever) हरने वाला माना जाता है | इसका दमा व मधुमेह (Diabetes) पर प्रभावशाली असर सिद्ध हुआ है | इसके साथ ही लहसुन शरीर में पथरी बनने में रुकावट पैदा करने वाला रक्तस्राव रोकने वाला त्वचा को मुलायम रखने वाला, कमोद्दीपक (Semitism), रक्त स्राव रोकने वाला, त्वचा को मुलायम रखने वाला है | इससे भूख में आशातीत वृद्धि (Increase in Apatite) होती है | यह आंतों के कृमियो को मारती है तथा शरीर में जमा मवाद (Pus) को निकालकर घाव (Wound) को भरने में सहायक सिद्ध होता है |
इसके नियमित प्रयोग से कील, मुंहासे, अम्लता (Acidity), एनीमिया, एलर्जी, अपेंडिसाइटिस, पीठ दर्द, बेराबेरी, कुत्ते का काटना, मूत्राशय की सूजन, रक्त दोष, अस्थि रोग (Bone disease), मस्तिष्क आघात (brain concussion), क्षयरोग (Tuberculosis), मस्तिष्क कैंसर, सामान्य जुकाम, आंत्रशोथ, पेशियों की ऐंठन, कर्ण रोग, Flu, बुखार, पित्ताशय की पथरी (Gallbladder Stone), सामान्य दुर्बलता, सिरदर्द, हृदय की सामान्य व्याधियों, आलस्य, श्वेत प्रदर, पेट दर्द, गर्दन की सूजन, दांत रोग, तेज बुखार, टिटनस (Tittenis) और ट्यूमर में भी फायदेमंद है |
ताजा लहसुन ही अधिक गुणकारी होता है | प्रतिदिन इसकी 1-2 कली अच्छी तरह से चबाकर खा लेने से बहुत लाभ होता है | लहसुन के अर्क से तैयार शरबत का प्रयोग अनेक व्याधियों (Diseases) से छुटकारा दिलाता है | रोम व यूनान के लोग लहसुन से तैयार रस के प्रयोग से अपने पुरुषार्थ में वृद्धि (Increase in manliness) करते थे | इसे प्लीहा रोग (Jaundice) में भी लाभ प्राप्त होता है |
लहसुन की गंध से सांप (Snake), बिच्छू (Scorpion) दूर रहते हैं | इसका नियमित प्रयोग चर्बी के जमाव में रुकावट कर कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) में वृद्धि को ठीक करता है |
विवाह (Marriage) के शुभ अवसर पर दूल्हा-दुल्हन (Groom and Bride) के निवास स्थान में लहसुन की कली रखी जाने की परंपरा है जो एक सुखमय भविष्य का प्रतीक माना जाता है | प्राचीनकाल में यात्रा के समय लहसुन को साथ रखा जाता था | प्राचीनकाल में यूनान के नवजात शिशु की गर्दन के चारों ओर लहसुन की कलियां बांधी जाती थी | इसे घर की दीवारों पर सजाना (Decoration) इस बात का प्रतीक माना जाता था कि नवजात शिशु हृष्ट-पुष्ट होगा |
लहसुन के कुछ सरल उपयोग :-
1) दाद (Ring Worm) :- लहसुन के रस को दाद के स्थान पर मलने से लाभ होता है |
2) पेट के रोगों में इसकी 20 बूंद रस को शुद्ध जल में मिलाकर 1 दिन में एक बार पिलाने से आशातीत लाभ होता है | यह पाचन संस्थान में आंतों के संक्रमण (Infection) को दूर करता है | पेट की दूषित वायु (Gas) निकल जाती है, दुर्बलता जनित पेट दर्द, पेट का फूलना इन सब में लहसुन के सेवन से लाभ होता है | यदि भैंस के दूध (Milk) में लहसुन का एक चम्मच रस मिलाकर पिलाएं तो भूख में वृद्धि होती है |
3) टाईफ़ाएड में ज्वर में एक या आधा चम्मच स्वरस सादा जल के साथ मिलाकर देने से ज्वर की वृद्धि में रोक लगती है |
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