सर्वाइकल की समस्या से हर व्यक्ति कभी न कभी जरूर पीड़ित होता है। पहले इसे सिर्फ बुजुर्गो की समस्या माना जाता था लेकिन आजकल के आधुनिक जीवन में दुनिया की दो तिहाई आबादी इस समस्या से पीड़ित है। इस लेख में हम सर्वाइकल कितने प्रकार का होता है की जानकारी देने जा रहे है।
सर्वाइकल कितने प्रकार का होता है | Cervical kitne prakar ke hote hain
शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पोंडिलोसिस तीन प्रकार का होता है। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस, लम्बर स्पोंडिलोसिस, एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस।
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- सर्वाइकल कितने प्रकार का होता है | Cervical kitne prakar ke hote hain
सरवाइकल का दर्द आजकल लोगों में पाई जाने वाली एक बहुत ही सामान्य समस्या है जिससे कोई भी पीड़ित हो सकता है। गर्दन में किसी भी ऊतक में विकारो और रोगों के कारण गर्दन में दर्द पैदा हो सकता है। गर्दन में दर्द के समान्य कारण है मोच आने, डिस्क में आने वली समस्या या दबी हुई नस।
गर्दन का दर्द रीढ़ की हड्डी के ऊपरी भाग से लेकर रीढ़ की हड्डी के गर्दन के नीचे वाले हिस्से में होने वाला दर्द होता है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द के बाद यह मस्कुलोस्केलेटल डिसेबिलिटी का सबसे बड़ा कारण है।
लगभग दो-तिहाई आबादी अपने जीवन में कभी न कभी गर्दन के दर्द से पीड़ित होगी। सौभाग्य से अधिकांश लोगों के लिए यह तीव्र दर्द दिनों या हफ्तों के भीतर ही सही हो जाता है, हालांकि कुछ लोगो में यह दुबारा हो सकता है या अधिक समय तक लम्बा खींच सकता है।
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गर्दन के दर्द में आमतौर पर एक multifactorial etiology होता है – खराब पोस्चर, गर्दन में खिंचाव / चोट, चिंता और अवसाद, तनाव, इस दर्द को बढ़ाने में सहायक हो सकते है।
गर्दन के ऊपरी हिस्से से दर्द सिर तक फैल सकता है जिससे बार-बार सिरदर्द हो सकता है और गर्दन के निचले हिस्से से कंधे, हाथ, छाती और कंधे की हड्डी तक फैल सकता है।
आमतौर पर गर्दन में दर्द होने की स्तिथि में रोगिओं द्वारा अपनी गर्दन की मूवमेंट को कम कर दिया जाता है जिससे मासपेशियो की मूवमेंट भी कम हो जाती है और मासपेशिया सख्त होने लगती है जो सर्वाइकल की स्तिथि को और भी गंभीर बना देता है।
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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस | Cervical spondylosis in Hindi
गर्दन में होने वाले दर्द को सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहा जाता है। इसमें सामन्यतया गर्दन के निचले वाले हिस्से, कॉलर बोन, कंधों और कंधों के जोड़ में दर्द होता है जो काफी समय तक बना रहता है।
गर्दन में आने वाली मोच और सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस में फर्क यह है की सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस होने की स्तिथि में गर्दन घुमाने में दर्द तो होता ही है, साथ ही हाथों को ऊपर-नीचे करने में भी दर्द होता है।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस तब होता है जब आपकी गर्दन में कार्टिलेज, हड्डियां, लिगामेंट्स और हड्डियां बिना उम्र के खराब होने लगती हैं।
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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण
- गर्दन या कमर में दर्द
- चक्कर आना,
- माइग्रेन,
- हल्का दर्द या तेज दर्द
- नींद की सुस्ती
लम्बर स्पोंडिलोसिस | ल्यूम्बर स्पॉनडायलोसिस in Hindi
जब कमर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को स्पाइन या लम्बर स्पोंडिलोसिस कहते हैं। लंबर स्पॉन्डिलाइटिस से पीडि़त व्यक्ति के वर्टिकल ज्वाइंट में सूजन की समस्या पैदा हो जाती है, जो कमर दर्द और गर्दन के दर्द का कारण बनती है।
लम्बर स्पोंडिलोसिस में दर्द धीरे-धीरे बढ़ता ही जाता है। गंभीर स्थिति में गर्दन, कंधों और कमर को हिला पाना भी बहुत मुश्किल हो जाता है और इनको हिलाने की कोशिश करने पर बहुत ही अधिक दर्द होता है ।
लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस में अंदरूनी तौर पर रीढ़ की हड्डी में मौजूद तरल पदार्थ सुख जाता है जिसके कारण लचीलापन खत्म हो जाता है और जोड़ खुल जाते हैं जिससे हड्डियों के टूटने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
रोग के गंभीर होने पर हाथ-पैरों में झनझनाहट और सुन्नपन की समस्या भी पैदा हो जाती है, कभी-कभी सुबह के समय दर्द इतना असहनीय हो जाता है कि व्यक्ति उठने से भी डरता है।
लम्बर स्पोंडिलोसिस के लक्षण
लम्बर स्पोंडिलोसिस के कई लक्षण हो सकते हैं, इनमें से कुछ लक्षण नीचे सूचीबद्ध हैं:
- रीढ़ में दर्द,
- सुन्न होना,
- कमज़ोरी,
- खड़े और चलते समय पीठ के निचले हिस्से, पैर को प्रभावित करता है,
- डिस्क उभरा हुआ होना।
लम्बर स्पोंडिलोसिस के कारण
लम्बर स्पोंडिलोसिस के कई कारण हो सकते है, उनमें से कुछ में शामिल हैं:
- बुढ़ापा,
- हेरिडिटी,
- पीठ पर चोट लगना ,
- आवश्यकता से अधिक वजन बार-२ उठाना,
- बार-बार झुकना, उठाना, घुमाना, और
- खराब पोस्चर।
एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस। Ankylosing Spondylitis In Hindi
वैसे देखा जाय तो यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। रीढ़ की हड्डी, कंधों और कूल्हों के जोड़ में दर्द होता है। एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस में शरीर के सभी हड्डी के जोड़ प्रभावित होते हैं।
एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस एक सूजन की बीमारी है, जो समय के साथ, रीढ़ की हड्डी (कशेरुक) में कुछ हड्डियों को फ्यूज करने का कारण बन सकती है। यह फ्यूज़िंग रीढ़ को कम लचीला बनाता है और इसके परिणामस्वरूप मरीज झुक कर चलने परमजबूर हो जाता है।
और अधिक स्तिथि के खराब होने पर पसलियां प्रभावित होती हैं, जिससे गहरी सांस लेना भी मुश्किल हो सकता है।
एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस में जोडों में मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी, कंधों और कूल्हों के जोड़ में तेज दर्द होता है। वैसे देखा जाय तो यह बीमारी पूरे शरीर के जोड़ो को प्रभावित करती है।
एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण
प्रारंभिक अवस्था में, एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कुछ लक्षण दिखाई देने लगते है जैसे
- सुबह जल्दी पीठ के निचले हिस्से में जकड़न और दर्द जो कम से कम 30 मिनट तक रहता है और फिर पूरे दिन या गतिविधि के साथ कम हो जाता है
- दर्द जो आपको रात में जगाता है
- एक या दोनों नितंबों में और कभी-कभी जांघों के पिछले हिस्से में दर्द।
- एड़ी में या अपने पैर में दर्द
- उंगली या पैर की अंगुली में दर्द और सूजन
- सीने में दर्द या छाती के चारों ओर जकड़न जो धीरे-धीरे आती है।
- खांसने या छींकने से बेचैनी या दर्द हो सकता है।
- आंत्र की सूजन।
- थकान, जो गंभीर थकान है जो नींद या आराम से नहीं सुधरती है।
- अवसाद और चिंता।
- आंख की सूजन |
Ankylosing स्पॉन्डिलाइटिस का कारण
Ankylosing स्पॉन्डिलाइटिस का कोई विशिष्ट कारण नहीं है, हालांकि आनुवंशिक कारक शामिल प्रतीत होते हैं। विशेष रूप से, जिन लोगों में एचएलए-बी27 नामक जीन होता है, उनमें एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस विकसित होने का बहुत अधिक जोखिम होता है। हालांकि, जीन वाले कुछ लोग ही इस स्थिति को विकसित करते हैं।
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सर्वाइकल में क्या क्या दिक्कत आती है?
सर्वाइकल की समस्या होने पर रोगी को अनेको दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है जैसे गर्दन या कमर में दर्द, चक्कर आना, माइग्रेन, हल्का दर्द या तेज दर्द, नींद की सुस्ती आदि । समस्या के और बढ़ने पर हाथ, बाजू और उंगलियों में कमजोरी महसूस होना या उनका सुन्न हो जाना जैसी परेशानिया भी पैदा हो जाती है।
सर्वाइकल की शुरुआत कैसे होती है?
आमतौर पर गर्दन में दर्द होने की स्तिथि में रोगिओं द्वारा अपनी गर्दन की मूवमेंट को कम कर दिया जाता है जिससे मासपेशियो की मूवमेंट भी कम हो जाती है और मासपेशिया सख्त होने लगती है जो रोगी सर्वाइकल की स्तिथि की और ले जाती है।
सर्वाइकल कितने प्रकार के होते हैं?
शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पोंडिलोसिस तीन प्रकार का होता है। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस, लम्बर स्पोंडिलोसिस, एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस।
हम उम्मीद करते है की सर्वाइकल कितने प्रकार का होता है (cervical kitne prakar ke hote hain), सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical spondylosis in Hindi), लम्बर स्पोंडिलोसिस (ल्यूम्बर स्पॉनडायलोसिस in Hindi), एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस (Ankylosing Spondylitis In Hindi) आदि विषयो पर दी गई यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रहेगी।
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