Hindi Kahaniya 6 || शेख चिल्ली का सपना (शेख चिल्ली के सपने)

शेख चिल्ली का सपना (शेख चिल्ली के सपने)। || Hindi Kahaniya || Hindi Story For Children || Kahaniya

 
एक गाँव में शेख चिल्ली नाम का एक लड़का रहता था। वह हमेशा बहुत सपने देखता था। अपने सपनों में खो जाना और अपने काम को भूल जाना उसकी आदत थी।
उसकी मां हमेशा उसे बदलने और समझाने की कोशिश करती रहती थी की हमेशा यहां लेटे रहने और पूरे दिन सपने देखते रहने से कुछ नहीं होता, उन सपनों को पूरा करना है तो उसके लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है।
और कहती थी की शेख चिल्ली, सपने देखना और समय बर्बाद करने से सपनों को पूरा करने में मदद नहीं मिलेगी ।
माँ, मैं सोने के बाद ही सपने देख सकता हूँ। शेख चिल्ली बोला |
जैसे तुम तो दिन में सपने देखते ही नहीं । तुम हमेशा अपने विचारों और सपनों में खोए रहते हो। तुम्हे यह भी याद नहीं रहता कि तुम क्या कर रहे हो। सपने देखना बंद करो और उचित काम की तलाश करो तभी तुम्हारे सपने सच होंगे। शेख चिल्ली की मां उसे समझाते हुए बोली |
शेख चिल्ली किसी तरह उठकर तैयार हुआ।
वह काम की तलाश में निकल पड़ा।
वह आलसी नहीं था लेकिन जब भी वह कोई काम शुरू करता था तो उसे भूल जाता था और अपने सपनों में खो जाता था, इसलिए वह अपनी नौकरी को बरकरार रखने में असमर्थ था।
काम ढूंढने निकला शेख चिल्ली सोच रहा था कि वह क्या काम करे तभी जब उसने एक व्यापारी को एक पेड़ के नीचे बैठे देखा। उसके पास एक बड़ी टोकरी थी। उसमें अंडे थे।
शेख चिल्ली ने व्यापारी से काम के बारे में पूछा :-
भाई, आप किसका इंतजार कर रहे हो? क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूँ?
व्यापारी बोला :-
मुझे इन अंडों को अपने गाँव ले जाना है। अगर कोई मेरी मदद करता है तो मैं उस व्यक्ति को अपनी टोकरी से चार अंडे दूंगा।
शेख चिल्ली बोला :-
केवल चार अंडे? मैं तुम्हारे लिए काम कर सकता हूं लेकिन मुझे छह अंडे चाहिए।
व्यापारी बोला :-
नहीं, भाई। मैं तुम्हें छह अंडे नहीं दे सकता। पाँच अंडे दे सकता हू। लेकिन, तुम्हे अंडो को ध्यान से रखना होगा । कोई भी अंडा टूटना नहीं चाहिए ।

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शेख चिल्ली का सपना (शेख चिल्ली के सपने)। || Hindi Kahaniya || Hindi Story For Children || Kahaniya

शेख चिल्ली बोला :-
चिंता मत करो | आप आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे-२ आता हू ।
शेख चिल्ली बहुत खुश था। जब उसने चलना शुरू किया। वह अपने विचारों में खो गया और खुद से बोलना शुरू कर दिया। चार अंडों से चार चूजे निकलेंगे। वे बड़े होंगे और अधिक अंडे देंगे। मैं बाजार में कुछ अंडे बेचूंगा। बचे हुए अंडों से ज्यादा चूजे निकलेंगे। चूजे बड़े होकर ढेर सारे अंडे देंगे। मैं उन अंडों को बाज़ार में बेचूँगा। मैं मुर्गियाँ बेचूँगा और अधिक पैसे कमाऊँगा। मैं उन पैसे से गाय और भैंस खरीदूंगा। मैं अपने दूध और दूध उत्पादों के साथ एक डेयरी व्यवसाय शुरू करूँगा। यह मुझे अमीर बना देगा। मैं एक बड़ा घर बनाऊंगा। मैं अपने माता-पिता को खुश रखूंगा। उनकी सेवा के लिए घर में नौकर चाकर रखूँगा |
कुछ पैसे जुड़ने पर उनसे मैं कपड़े की दुकान शुरू करूंगा। मेरा स्टोर आसपास के गांवों में चर्चा का विषय होगा। मेरे पास हर जगह सफल व्यावसायिक उद्यम होंगे।
मैं दुकानों को बेचूंगा और सोने और चांदी का कारोबार शुरू करने के लिए इसमें और पूंजी लगाऊंगा। मुझे गांव से शहर की यात्रा करने के लिए कार की आवश्यकता होगी। मैं एक नई कार और एक बड़ा घर खरीदूंगा। मेरी भव्य जीवनशैली को देखकर लोग दंग रह जाएंगे।
मुझे अमीर परिवारों से वैवाहिक प्रस्ताव मिलेंगे। मैं एक खूबसूरत लड़की से शादी करूँगा। हम दोनों के सूंदर-२ बच्चे होंगे। काम के लिए निकलते समय बच्चे मुझे रोकने की कोशिश करेंगे। बच्चे मुझे काम पर जाने से रोकने की कोशिश करेंगे लेकिन मैं उन्हें मना कर दूंगा ।
जब वह यह सब सोच रहा था, तब शेख चिल्ली ने अपनी गर्दन पर जोर से सिर हिलाया। जैसे ही उसने अपनी गर्दन हिलाई, टोकरी उसके सिर से नीचे गिर गई और सभी अंडे जमीन पर गिर गए और टूट गए।
व्यापारी बोला :-
लड़के, यह तुमने क्या किया है? तुमने मेरे द्वारा खरीदे गए सभी अंडों को तोड़ दिया। मुझे तुम्हारी वजह से भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
शेख चिल्ली बोला :-
कृपया मुझे क्षमा करें। मुझसे गलती हो गई । आपके तो खरीदे हुए अंडे ही टूटे है । लेकिन, मेरे तो सारे सपने चकनाचूर हो गए।
व्यापारी गुस्से में बोला :-
रुको, मैं तुम्हें सबक सिखाऊंगा।
शेख चिल्ली वहाँ से किसी तरह बच कर भागने में सफल रहा। लेकिन, वह बहुत डरा हुआ था।
उसने सपनों में खो जाने के लिए एक अच्छा सबक सीखा। उस दिन शेख चिल्ली ने अपने सपनों में खो जाने और अपने जीवन को बर्बाद नहीं करने का फैसला किया।
कहानी का नैतिक ::–
सपने में खो जाना हमें उन्हें पूरा करने में मदद नहीं करेगा। अपने सपनों को सच करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

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