राजू की दिवाली
राजू आज बहुत खुश था | उसकी जेब पूरे ₹200 थे | उसे विश्वास था की इन ₹200 से गीता की फ्रॉक, मिठाई और फुलझड़ी का डब्बा आ जाएगा | पिछले दिनों मम्मी बहुत बीमार हो गई थी | उनके इलाज में बहुत पैसा खर्च हुआ था |
एक दिन जब वह स्कूल से आया तो उसने अपने पापा को मम्मी से कहते सुना था “पैसा तो है नहीं बच्चे दिवाली कैसे मनाएंगे”|
“कर्ज लेकर दिवाली मनाना ठीक नहीं, मैं राजू और गीता को समझा दूंगी” मम्मी ने कहा |
उसने सोच लिया था कि वह पापा से किसी चीज के लिए जिद्द नहीं करेगा, लेकिन वह जानता था कि उसकी छोटी बहन गीता नई फ्रॉक और फुलझड़ीओ के लिए जरूर रोएगी |
एक दिन वह बाजार गया | वहां उसने रंग-बिरंगी कंदील बिकती देखी | तभी उसने सोच लिया कि वह भी कंदीले बना कर बेचेगा | उसके पड़ोस में रहने वाले रहमान चाचा भी कंदीले बना कर बेचते थे |
उसने भी रहमान चाचा से कंदील बनाने की विधि सीखी | उसने रहमान चाचा से कहा कि वह भी उनके घर बैठकर कंदील बनाएगा | रहमान चाचा तुरंत तैयार हो गए |
उसने अपनी गुल्लक में से पैसे निकाल कर कागज आदि कंदीले बनाने सामान खरीदा और रहमान चाचा के घर पर बैठकर कंदील बनाने लगा | उन कंदीलो को वह महेश अंकल की दुकान पर बिक्री के लिए रख आया |
उन कंदीलो के बिक जाने पर वह दुबारा कागज आदि सामान लाकर कंदीले बनाकर बिक्री के लिए दे आता था | इस प्रकार उसने ₹200 बचा लिए | वह कंदीले बनाकर बेचता है, यह बात रहमान चाचा और महेश अंकल के अतिरिक्त घर में और किसी को पता नहीं चली |
ब्रेक लगने की आवाज के साथ चीख सुनकर राजू का ध्यान सड़क की ओर गया | उसने देखा कि एक आदमी ट्रक की टक्कर से घायल पड़ा था और ट्रक तेजी से भागा जा रहा था | कुछ देर में वहां भीड़ इकट्ठी हो गई किंतु कोई भी व्यक्ति घायल आदमी को डॉक्टर के पास नहीं ले जा रहा था | राजू को लगा यदि इस आदमी का ऐसे ही खून निकलता रहा तो वह मर जाएगा |
“इसे डॉक्टर के पास ले चलो इसका बहुत खून बह रहा है” राजू बोला |
“तुम्हें बहुत हमदर्दी है तो तुम ही ले जाओ” एक आदमी बोला |
उस आदमी की बात सुनकर राजू को बहुत गुस्सा आया लेकिन वह चुप ही रहा | उसने एक टैक्सी को रोका और ड्राइवर की सहायता से उस घायल आदमी को टैक्सी की पिछली सीट पर लिटाया और अस्पताल पहुंचा दिया |
डॉक्टरों ने जो इंजेक्शन दवाएं बाजार से लाने के लिए पर्चा दिया तो उसने तुरंत दे दवाई लाकर दे दी | इसमें उसके सारे पैसे खर्च हो गए | जब डॉक्टर ने राजू को बताया कि वह घायल आदमी अब खतरे से बाहर है तो वह घर के लिए चल दिया |
उसके पास इतने पैसे नहीं बचे थे कि वह बस से घर पहुंचता | राजू को दुख था कि इतनी मेहनत के बाद भी वह और उसकी बहन दिवाली नहीं मना पाएंगे, लेकिन किसी की जान बच गई इस बात का संतोष भी उसे बहुत था |
राजू कमरे में पत्रिका पढ़ रहा था | दिवाली की खरीदारी के लिए मोहल्ले के बच्चे बाजार गए हुए थे | राजू का दोस्त सुरेश पटाखे खरीदने चलने के लिए उसे बुलाने आया तो उसने मना कर दिया | उसने सोचा कि वह घर के बाहर ही नहीं निकलेगा |
“भैया-भैया, चलो पापा बुला रहे हैं” गीता ने उसके पास आकर कहा |
बैठक में राजू में देखा पापा किसी से बातें कर रहे थे | उस आदमी के सर पर पट्टी बंधी हुई थी | उसे देखते ही उसके पापा बोले “देखो राजू तुमसे मिलने कौन आया है” |
वह व्यक्ति घुमा तो राजू ने उसे पहचान लिया | वह वही आदमी था जिसे उसने अस्पताल पहुंचाया था |
“बेटे, तुमने तो सच्ची दिवाली मना कर मेरे जीवन में उजाला कर दिया, अब मैं तुम्हें दिवाली की शुभकामनाएं देने आया हूं” कहते हुए उन्होंने मिठाई और ढेर सारे पटाखे उसकी और बढ़ा दिए |
“रहमान भाई ने जब मुझे बताया कि तुम कंदीले बनाते हो तब मैंने सोचा था कि मेरा राजू समझदार हो गया है लेकिन आज तो मुझे गर्व हो रहा है कि राजू मेरा बेटा है” पापा ने गर्व से कहा |
गीता बैठक में आ गई | राजू ने उसे फुलझड़ी के डब्बे दे दिए और खुशी-2 खुद अंकल के लिए चाय लेने चला गया |
स्वामी विवेकानंद के जीवन का प्रसंग …..OSHO
अच्छी अच्छी कहानियां
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