उषापान
आयुर्वेद में उषापान का बहुत महत्व है | सही तरीके से किया गया उषापान शरीर को बहुत से रोगों से बचाता है | अगर यही उषापान मुंह की बजाए नाक के द्वारा किया जाए तो यह कितने रोगों को जड़ मूल से खत्म कर देता है |
हम आपको उषापान का तरीका, उषापान के फायदे, नासिका यानि नाक के द्वारा उषापान के फायदे और उषापान के संपूर्ण लाभ उठाने के लिए आयुर्वेद में दी गई कुछ हिदायतों के बारे में जानकारी दे रहे है |
उषापान का तरीका
सूर्योदय से पूर्व पिया गया पानी यानी उषापान मां के दूध के समान गुणकारी माना गया है |
उषापान के लिए सांयकाल में तांबे के एक बर्तन में पानी भरकर रख ले |
प्रातः सूर्योदय से पूर्व उषापान के रूप में उस बासी पानी को ढाई सौ ग्राम की मात्रा में नित्य बासी मुंह धीरे-धीरे पिए और फिर 100 कदम टहलकर शौच जाए |
उषापान के फायदे
रात्रि बीतने पर उस काल में जल पीने से खांसी, दमा, अतिसार, ज्वर, कुष्ठ रोग, कमर दर्द, सूजन, प्रमेह, मूत्राघात,उदर विकार, बवासीर आदि रोग नष्ट हो जाते हैं तथा कृमि, उलटी, कंठ, सिर, कान, शंख व नेत्र के रोग भी दूर हो जाते हैं |
इनके अतिरिक्त अन्य वात, पित्त व कफ व श्रम से होने वाले रोग हैं वे भी नित्य प्रात जल पीने से नष्ट हो जाते है |
इससे कब्ज दूर होकर शौच खुलकर आने लगेगा |
इस प्रकार उषापान करने वाला व्यक्ति मल शुद्धि के साथ-साथ खांसी, दमा, अतिसार, ज्वर, कुष्ठ रोग, कमर दर्द, सूजन, प्रमेह, मूत्राघात, बवासीर, उदररोग, एसिडिटी, यकृत-प्लीहा के रोग, मूत्र और वीर्य संबंधी रोग, सिरदर्द, नेत्र विकार तथा वात, पित्त और कफ से होने वाले अनेको अनेक रोगों से मुक्त रहता है | बुढ़ापा उसके पास ही नहीं फटकता और वह शतायु होता है |
नाक के द्वारा उषापान के फायदे
यदि यह जल मुख यानि मुंह की बजाए नासिका यानि नाक से पिया जाये तो उसे सिरदर्द, जुकाम चाहे नया हो या पुराना, नजला, नकसीर आदि रोग जड़ मूल से दूर हो जाते हैं |
बुद्धि में वृद्धि होती है, शरीर में होने वाली झुर्रिया मिटती है, नेत्रज्योति गरुड़ के समान तीर्व हो जाती है |
बाल असमय सफेद नहीं होते तथा शरीर संपूर्ण रोगों से मुक्त रहता है |
शीत ऋतु में जल अत्यंत शीतल हो तो उसे थोड़ा गुनगुना करके पिया जा सकता है |
उषापान के संपूर्ण लाभ उठाने के लिए आयुर्वेद में दी गई कुछ हिदायतों
उषापान के संपूर्ण लाभ उठाने के लिए कुछ हिदायतों का पालन जरूरी है जैसे :-
ठन्डे पेय, मैदे और बेसन से बनी चीजें, तले हुए खाद्य पदार्थ, तेज मिर्च मसाले और मिठाइयों से परहेज किया जाए तथा फल और हरी सब्जियों पर अधिक से अधिक जोर दिया जाए |
चाय, कॉफ़ी, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि की मनाही है |
सिगरेट, शराब और नशीली चीजों से दूर रहें |
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