टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज (Typhoid Jad Se Kaise Khatam Kare) – टाइफाइड बुखार एक खतरनाक बीमारी है जिसका जड़ से इलाज न हो पाने की स्तिथि में और पूरा इलाज न होने की स्तिथि में दुबारा हो जाता है। सही से इलाज न होने पर टाइफाइड आपको बार-२ हो सकता है जब तक की शरीर में इसके बैक्टीरिया को जड़ से खत्म न कर दिया जाये।
टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज | Typhoid Jad Se Kaise Khatam Kare
टाइफाइड बुखार के इलाज में आयुर्वेदिक जड़ी-बुटिया जैसे तुलसी, सेब का सिरका, लहसुन, लौंग, बेल का मुरब्बा, खूबकला का काढ़ा, मुनक्का का काढ़ा, और गिलोय काफी कारगर साबित हो सकती है। इसके इलाज के दौरान साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
टाइफाइड बुखार | Typhoid Fever In Hindi
टाइफाइड बुखार एक जीवाणु संक्रमण है जो दूषित पानी या दूषित भोजन का सेवन करने के कारण होता है। यह आंतों के मार्ग को प्रभावित करता है और फिर रक्तप्रवाह में फैल जाता है। इसे “आंतों का बुखार” भी कहा जाता है क्योंकि यह मुख्य रूप से हमारी आंतों को प्रभावित करता है।
यह साल्मोनेला टाइफी (salmonella typhi bacteria) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। गंदगी, दूषित पीने का पानी और दूषित भोजन टाइफाइड के सामान्य कारण हैं। अगर आप जल्दी ठीक होना चाहते है तो सही समय पर सही तरीके और सही मात्रा में दवा ले, परहेज करे और घरेलू उपचार का उपयोग करें।
टाइफाइड को रोग की गंभीरता के अनुसार 5 चरणों में बताया जा सकता है। प्रारंभिक चरणों या अवस्था में पहचानकर, टाइफाइड का उपचार करके रोगी को गंभीर स्तिथि में जाने से रोका जा सकता है। टाइफाइड को पहचानने के लिए इसके लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए।
टाइफाइड बुखार के लक्षण | Typhoid ke Lakshan in Hindi
- बुखार और ठंड लगना
- मरीज का बुखार 104 डिग्री फारेनहाइट तक हो जाना
- सिरदर्द
- दस्त के साथ पेट दर्द
- मतली और उल्टी
- कमज़ोरी
- भूख में कमी
- बढ़ा हुआ जिगर (Liver)
- त्वचा के चकत्ते
- बुरे सपने आना
- नाक से खून आना
टाइफाइड के घरेलू उपचार | Typhoid ka Ilaaj
1. फलों के रस, नारियल पानी और ORS का भरपूर सेवन करे
टाइफाइड बुखार की वजह से उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है जिस वजह से शरीर में पानी और अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पिए और तरल पदार्थों जैसे फलों के रस, नारियल पानी, और सूप का सेवन करते रहें। तरल पदार्थो के अधिक सेवन से शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में भी मदद मिलती है।
टाइफाइड बुखार के कारण होने वाले निर्जलीकरण से निपटने के लिए ओआरएस सबसे अच्छा उपाय है। ORS का एक पैकेट एक लीटर उबले पानी में मिलाकर तैयार किया जा सकता है। आप चाहे तो एक लीटर उबले पानी में नमक और चीनी मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते है।
2. ठंडी सिकाई का प्रयोग करें
तेज बुखार से निपटने और शरीर के तापमान को कम करने के लिए ठंडी सिकाई का इस्तेमाल करें। ठंडी सिकाई का इस्तेमाल बगल, पैर, कमर और हाथों पर कर सकते हैं। हाथ-पांव पर गीली पट्टी या बर्फ की सिकाई करने से बुखार सबसे प्रभावी रूप से कम होता है।
ठन्डे पानी की गीली पट्टी को माथे पर रखने से भी बुखार कम करने में सहायता मिलती है।
3. सेब का सिरका लें
सेब का सिरका अपने अम्लीय गुणों के लिए जाना जाता है और टाइफाइड बुखार के इलाज के लिए एक अच्छा घरेलू उपचार है। यह संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में उचित पीएच बनाए रखने, शरीर से गर्मी निकालकर तेज बुखार को कम करने और शरीर में टाइफाइड के कारण होने वाली मिनरल्स की कमी को भी दूर करता है।
4. तुलसी टाइफाइड का घरेलु उपचार
पवित्र तुलसी एंटीबायोटिक और रोगाणुरोधी है। तुलसी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करती है और पाचन से जुड़े रोगो को दूर करने में भी सहायक होती है।
लगभग 20 तुलसी के पत्तों को पानी में उबालें और इसमें 1 चम्मच पिसा हुआ अदरक मिलाएं। पानी को छान लें और उसमें शहद की कुछ बूंदें मिलाएं। बुखार से राहत पाने के लिए इस तुलसी की चाय को दिन में 2-3 बार पिएं।
5. लहसुन
लहसुन में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण टाइफाइड का कारण बनने वाले साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से लड़ने में मददगार होते हैं। लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण टाइफाइड की बीमारी को तेजी से ठीक करने का कार्य करते है । यह शरीर की इम्युनिटी पावर को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करने में सहायक होता है।
सुबह खाली पेट लहसुन की दो कलियों का सेवन करना टाइफाइड (Typhoid ka Ilaaj) में फायदेमंद होता है। यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए अनुकूल नहीं है।
6. भुना हुआ मुनक्का और मुनक्का का काढ़ा टाइफाइड का बेहतरीन घरेलु उपाय
टाइफॉयड के बुखार में आराम पाने के लिए मुनक्का बेहतरीन चीज है। मुनक्का में थोड़ी मात्रा में सेंघा नमक मिलाकर या उसे तवे पर भूनकर खाने से टाइफॉयड का बुखार कम हो जाता है। तेज बुखार चढ़ने पर आप 4-5 मुनक्का भूनकर खा सकते हैं।
स्वामी रामदेव के अनुसार मुनक्का का काढ़ा बनाकर इस्तेमाल करना, टाइफाइड के इलाज में सहायक होता है और यह घरेलू उपाय सदियों से चलन में है। इसके लिए 2-3 ग्राम बीज या चूर्ण, 5-7 मुनक्का और 3-5 अंजीर को 400 ग्राम पानी में डालकर गर्म करें। जब 100 ग्राम पानी रह जाए तो उसे अच्छे से मैश कर लें और पानी को छान लें।
7. लौंग भी है फायदेमंद
लौंग एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है और टाइफाइड का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में शरीर की सहायता करता है। लौंग के आवश्यक तेलों में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो टाइफाइड पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मार सकते हैं। यह टाइफाइड के कारण होने वाली मतली और उल्टी को भी कम करता है। २-३ लौंग को पानी मे मिलाकर पानी उबालें, एक कप पानी रहने पर उसे छान लें और रोजाना २ बार यानि एक-एक कप दो बार पीने से जल्द टाइफाइड (Typhoid ka Ilaaj) में आराम मिलता है।
8. अमरूद के पत्ते
अमरूद के पत्ते टाइफाइड बुखार के लिए सरल घरेलू उपचारों में से एक है जो आपको तरोताजा महसूस कराएगा। अमरूद के पत्ते श्वसन तंत्र, गले और फेफड़ों में बलगम में बनने वाली बलगम को कम करने और आपके बुखार की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह टाइफाइड के बेक्टेरिया की वृद्धि पर लगाम लगते है और आयरन और विटामिन सी से भरपूर होते है जिससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलती है ।
9. केला है टाइफाइड का सुपर फ़ूड
केला, विशेष रूप से जब मलाई रहित दूध या छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है, तो टाइफाइड के रोगियों में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करके टाइफाइड को जड़ से खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । केले में पेक्टिन नामक घुलनशील फाइबर मौजूद होता है जो आंतों को तरल पदार्थ को अवशोषित करके दस्त का इलाज करने में सहायक होता है। इस फल में मौजूद पोटेशियम दस्त के कारण हुई इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने में भी मददगार होता है। यह शरीर के लिए आवश्यक कैलोरी, खनिजों और विटामिनों से भरपूर होता है और आसानी से पचने योग्य भी होता है।
टाइफाइड बुखार में सेब खाना है कि नहीं ?
10. अनार है टाइफाइड रोगिओं के लिए बेहतरीन फल
अनार में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल और एंटी-ट्यूमर गुण होते हैं और इसे विटामिन, विशेष रूप से विटामिन A, विटामिन C और विटामिन E के साथ-साथ फोलिक एसिड का एक अच्छा स्रोत कहा जाता है। अनार टाइफाइड के खिलाफ एक प्रभावी घरेलू उपचार (Typhoid ka Ilaaj) है। यह निर्जलीकरण को रोकने में मदद करता है।
11. विटामिन C से भरपूर पानी वाले फल
संतरा, तरबूज और अंगूर में विटामिन सी, ए और बी 6 जैसे पोषक तत्व काफी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं जो टाइफाइड बुखार के तापमान को कम करने में मदद करते हैं। टाइफाइड के कारण शरीर में होने वाली पोषक तत्वों की कमी इस रोग की जटिलताओं को और भी अधिक बढ़ा सकती है इसलिए इन फलों को टाइफाइड के रोगी के दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए। ये फल पोषक तत्वों की कमी को तो पूरा करते ही है साथ ही टाइफाइड बुखार के लिए सरल घरेलू उपचारों में से एक है।
12. दही और छांछ
दही और छांछ जैसे डेयरी उत्पाद पचाने में आसान होते हैं और शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकते हैं। परंपरागत रूप से, दही और छांछ लंबे समय से टाइफाइड और इसके लक्षणों के इलाज के लिए सबसे अच्छे खाद्य पदार्थों में से एक के रूप में जाना जाता है।
13. शहद
टाइफाइड बुखार से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोस की कमी हो जाती है जिसे पूरा करने के लिए शहद का सेवन करना एक बेहतरीन उपाय है। यह नेचुरल होने के साथ-साथ स्वस्थ, एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटी ऑक्सीडेंट जैसे गुणों से भी भरपूर होता है। इसका उपयोग प्राचीन काल से पारंपरिक चिकित्सा में किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, जब गर्म पानी के साथ सेवन किया जाता है, तो शहद को पाचन तंत्र को आसान बनाने के लिए माना जाता है।
टाइफाइड बुखार को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
खूबकला का काढ़ा
खूबकला टाइफाइड बुखार होने पर काफी लाभकारी हो सकता है। खूबकला में विटामिन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स और ग्लूकोसिनोलेट्स नामक अनेको पोषक तत्व पाए जाते है जिनमे से अनेक पोषक तत्व टाइफाइड बुखार के कारण शरीर खो देता है।
टाइफाइड का इलाज करने के लिए खूबकला दो-तीन ग्राम, पांच मुनक्के और तीन से पांच अंजीर को 400 ML पानी में डालकर तब तक उबाले जब तक की पानी 100 ML रह जाये। इसी पानी में इन सभी चीजों को मेश केर ले । इस पानी को छान ले। काढ़ा तैयार है इसे रोजाना सुबह शाम सेवन करने से टाइफाइड में काफी लाभ मिलेगा।
बेल का मुरब्बा
बेल के फल का इस्तेमाल टाइफाइड की समस्या के इलाज के रूप में सफलतापूर्वक किया जा सकता है। बेल फल आपको पुरे साल तो नहीं मिल सकता ऐसे में बेल का मुरब्बा आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
यह एक ऐसी औषधि है जो बैक्टीरिया के कारण होने वाले पेट के इन्फेक्शन को दूर करके पाचन से जुडी समस्याओं में आराम पहुँचाती है। बेल का मुरब्बा कब्ज, अपच और पेचिश जैसे विकारों के इलाज में काम आती है। शुरुआती अवस्था में इसे देने से टाइफाइड बुखार को कम किया जा सकता है।
गिलोय है सबसे प्रभावशाली औषधि
गिलोय, जिसे हिंदी में अमृता या गुडुची के नाम से भी जाना जाता है, टाइफाइड के इलाज (Typhoid ka Ilaaj) के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली जड़ी-बूटियों में से एक है। इसे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है, और इसमें एंटीबायोटिक, इनती-इंफ्लामेन्ट्री और एंटी-कैंसर गुण भी मौजूद होते हैं। गिलोय में दाह नाशक (जलन का इलाज), ज्वरहर (बुखार का इलाज) और मेहनाशक (चयापचय सिंड्रोम का इलाज) जैसे गुण होते हैं। इसमें कई रासायनिक यौगिक होते हैं जो बुखार को कम कर सकते हैं।
टाइफाइड बुखार में क्या परहेज करना चाहिए?
- उबला हुआ पानी ही पिएं।
- मीठे पेय पदार्थों का सेवन न करें और कॉफी का बहुत अधिक सेवन न करें।
- कच्ची सब्जियों और फलों का उपयोग करने से बचें जिन्हें आप छील नहीं सकते।
- आंतों के जीवाणु वनस्पतियों को संतुलित करने के लिए दही, दही और छाछ का सेवन करें।
- बिस्तर पर आराम जरूरी है क्योंकि यह बीमारी बहुत कमजोरी का कारण बनती है।
- ठंड के मौसम की स्थिति के संपर्क में आने से बचें। टाइफाइड के लक्षण पूरी तरह से कम होने तक गर्म वातावरण में रहें। टाइफाइड से उबरने के बाद भी शरीर कमजोर रहता है।
- हाइड्रेशन बहुत जरूरी है। टाइफाइड से ठीक होने के दौरान और बाद में पूरे दिन पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहें।
- बीमारी के लक्षण पूरी तरह से कम होने तक नरम आहार लें। उपचार के बाद आपको किस आहार का पालन करना चाहिए, इसके बारे में अधिक जानने के लिए चिकित्सक से परामर्श लें।
- ठीक होने के बाद किसी भी ज़ोरदार गतिविधियों में शामिल न हों। शरीर अभी भी कमजोर है और समय के साथ मजबूत होने के लिए समय चाहिए।
- खुद पर नजर रखें और जब आप असहज महसूस करें या टाइफाइड के लक्षण कम न हों तो डॉक्टर से मिलें।
टाइफाइड ठीक होने में कितना समय लगता है?
टाइफाइड का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाई दी जाती है। 7 से 14 दिन का इलाज पूरा कर लेने के बाद टाइफाइड का बुखार उतर जाता है और उसका बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाता है।
बार बार टाइफाइड होने का कारण क्या है?
अधूरे इलाज के कारण या इलाज पूरा होने के बावजूद भी कुछ लोगों के शरीर में टाइफाइड का बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म नहीं होता है जिससे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म नहीं होता और बैक्टीरिया दोबारा से बढ़ने लगता है और कुछ दिनों में टाइफाइड के लक्षण फिर दिखने शुरू हो जाते है।
क्या गिलोय टाइफाइड के लिए अच्छा है?
गिलोय, जिसे हिंदी में अमृता या गुडुची के नाम से भी जाना जाता है, टाइफाइड के इलाज (Typhoid ka Ilaaj) के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली जड़ी-बूटियों में से एक है।
हम उम्मीद करते है की टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज (Typhoid Jad Se Kaise Khatam Kare), टाइफाइड बुखार के लक्षण (Typhoid ke Lakshan in Hindi), टाइफाइड के घरेलू उपचार (Typhoid ka Ilaaj), टाइफाइड बुखार को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे, #TyphoidkaIlaaj आदि विषयो पर दी गई यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रहेगी।