टुटा दांत वापिस लग सकता है, जानिए क्या है तरीका

दांत टूटने पर क्या करे (Dant Tutne Pr Kya Kare)– दांत टूटने के अनेको कारण हो सकते है और अगर किसी भी कारण से आपका दांत टूटता है तो आपको बहुत बुरा महसूस होता है। आप समझ नहीं पाते की आप क्या करे। इस लेख में हम आपको जानकारी देने जा रहे है की दांत टूटने पर क्या करे, नया दांत लगाने के तरीके कौन-२ से होते है और टूटे फूटे और गैप वाले दांतो को कैसे ठीक किया जाता है।

दांत टूटने पर क्या करे?

आपके दांतों को ढकने वाला enamel शरीर में सबसे सख्त, सबसे खनिजयुक्त ऊतक है लेकिन इसकी ताकत की भी कुछ सीमाएं हैं। गिरने के कारण, चेहरे पर झटका लगना, या किसी सख्त चीज को काटने से – खासकर अगर दांत में पहले से ही कुछ सड़न हो – दांत के झड़ने या टूटने का कारण बन सकता है।

अगर आपको पता चलता है कि आपका दांत टूट गया है, तो घबराएं नहीं। इसे ठीक करने के लिए आपका दंत चिकित्सक यानि डेंटिस्ट बहुत कुछ कर सकता है। आइये जानते है की कौन-2 से तरीको से डेंटिस्ट टूटे दांत को वापिस लगा सकता है या नया दांत लगा सकता है।

टूटा हुआ दांत (broken tooth)

अगर किसी हादसे में दांत निकल जाए और वक्त पर हिफाजत से उस दांत को डॉक्टर के पास ले जाया जाएं तो उस दांत को ही दोबारा लगाया जा सकता है। इसे रोप्लॉट कहा जाता है।

दांत टूटने पर क्या करे

दांत निकलने पर उसे पानी या दूध में डालकर 24 घंटे के अंदर डॉक्टर के पास ले जाएं। अगर दांत सुरक्षित होगा तो डॉक्टर कनाल करके उसे ही दोबारा लगा देंगे, वरना नया दांत लगाना होगा।

दांत निकलने के तीन महीने के अंदर नया दांत लगवा लेना चाहिए, वरना बाकी दांत खिसक कर निकले हुए दांत की जगह घेर लेते हैं। जगह खाली होने पर बाकी दांतों पर दबाब पड़ता है जिससे उनकी जड़े हिल जाती है और ये कमजोर हो जाते हैं।

नया दांत लगाने के लिए ये तकनीके इस्तेमाल की जाती है

नया दांत लगाने के तरीके

एक पुरे दांत का निकल जाना आपात स्थिति है। कई मामलों में टूटे हुए दांतों को फिर से लगाया जा सकता है। एक टूटे हुए दांत को 30 मिनट के भीतर दुबारा अपनी जगह पर लगा देने से उसके सफल होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाते है। टूटे हुए दांत या नए दांत को लगाने के लिए डेंटिस्ट्स 3 तरीके इस्तेमाल करते है :-

ब्रिजेस (Dental Bridges)

डेंटिस्ट ब्रिजेस की मदद से नया दांत लगा सकते हैं। जो दांत निकल गया है, उसके आसपास के दांतों पर कैप क्राउन फिल्मड कर दी जाती है और उनकी मदद से मिसिंग दांत लगा दिया जाता है।

रूट कनाल किए हुए दांतों पर भी इसे लगाया जा सकता है लेकिन इसके लिए आसपास के दांतों को घिसना पड़ता है। ब्रिजेस लगाने के लिए आसपास के दांतों का मजबूत और सुरक्षित होना जरूरी है।

यह परमानेंट तकनीक है और मसूड़ों, हड्डियों और आसपास के दांतों की स्थिति को देखकर ब्रिजेस लगाने का फैसला किया जाता है।

वक्त : कम से कम दो सिटिंग्स में ही डेंटिस्ट इसे लगा देते है।

डेंचर (Denture)

डेंचर पूरी तरह आर्टिफिशल होते हैं। दांत का नाप लेकर उनके मुताबिक प्लेट तैयार कर अक्रेलिक मटीरियल के डेंचर लगाए जाते हैं। एक दो दांत या पूरे दांतों का डेंचर बनवा सकते हैं।

इन्हें निकाल कर रेग्युलर सफाई करनी पड़ती है। अक्सर ये हिलते रहते हैं और बाहर भी निकल आते हैं। इस वजह से ये सुविधाजनक नहीं होते लेकिन इनके दाम कम होते हैं।

वक्त : कम से कम दो सिटिंग्स

इम्प्लांट (Implant)

नया दांत लगाने के लिए सबसे बेहतर तकनीक है इम्प्लॉट। यह टाइटेनियम से बनी स्कू शेप की डिवाइस होती है, जिस पर नया दांत लगाया जाता है। इसमें रूट्स होती है, इसलिए गाजर-नारियल जैसी मजबूत चीजों को भी काटा जा सकता है।

यह तकनीक ब्रिजेस से बेहतर है क्योंकि इसमें आसपास के दांतों के सपोर्ट को जरूरत नहीं पड़ती, जिससे बाकी दांतों पर दबाव नहीं पड़ता। साथ ही, ऑरिजिनल दांतों से छेड़छाड़ भी नहीं करनी पड़ती।

इम्प्लांट्स में कीड़ा नहीं लगता और ये पीले भी नहीं पड़ते। ये ज्यादा स्थायी और सुरक्षित होते हैं। अगर एक दांत लगाना है तो इंप्लांट और एक कैप से काम चल जाता है। अगर एक से ज्यादा दाँत लगाने होते हैं तो इम्प्लांट और ब्रिजेस की मदद से लगाए जा सकते हैं। इनकी देखभाल और साफ-सफाई आम दांतों की तरह हो करनी चाहिए।

वक्त : कम से कम दो सिटिंग्स, पूरे ट्रीटमेंट में तीन से छह महीने

दांत हों टूटे-फूटे या गैप वाले | How to Care for a Chipped or Broken Tooth in Hindi

दांतों के बीच में अगर गैप हो या वे टूटे-फूटे हों या ऊपरी परत खुरदुरी हो या फिर उन पर गहरे धब्बे हो तो निम्न तरीके अपना सकते है:-

बॉन्डिंग (Dental Filling or Bonding)

दांतों के बीच के गेप भरने और टूटे-फूटे दांतों को शेप में लाने के लिए बॉन्डिंग की जाती है। अगर सामने के दांतों में सिल्वर फिलिंग है तो उसे भी बॉन्डिंग के जरिए छुपाया जा सकता है।

अगर कोई दांत पीछे है तो उसके ऊपर बॉन्डिंग कर दी जाती है, जिससे दांत एक लाइन में आ जाते हैं। इसमें दांत के रंग की कंपोजिट फिलिंग के मटीरियल को सीधे दांत के ऊपर लगाया जाता है, जो पॉलिश और फिनिशिंग के बाद ऑरिजिनल दांत का हिस्सा लगने लगता है।

यह सस्ती तकनीक है और दरारों आदि को भरने के लिए अच्छी है। अगर इसका कोई हिस्सा टूट जाए तो उसे जल्द ठीक किया जा सकता है। लेकिन कई बार इससे दांतों पर भारीपन या उभरा हुआ होने का अहसास हो सकता है। साथ ही ये दूसरे ट्रीटमेंट के मुकाबले कम चलती है। अगर बॉन्डिंग टूट जाए तो दोबारा करा लेना चाहिए।

वक्त :- कम से कम एक सिटिंग

क्राउन या कैप (Dental Cap or Crown)

जिन दांतों को सामान्य फिलिंग से ज्यादा सपोर्ट की जरूरत होती है, जिनमें गहरी कविटी होती है या रूट कनाल किया जाता है, उन पर क्राउन या कैप लगाए जाते हैं।

इसके अलावा बिजेस को सपोर्ट करने और बदरंग व टेढ़े-मेढ़े दांतों पर भी क्राउन या कैप लगाए जाते हैं। इसमें दांत के ऊपर कंप चढ़ा दी जाती है, जिससे दांत बेहतर शेप-साइज में आ जाता है और मजबूत हो जाता है।

क्राउन, मेटल के अलावा नेचरल दिखने वाले पोर्सिलिन, सिरेमिल अहेलिक या कंपोजिट मटीरियल से बनाए जाते है। मेटल क्राउन आजकल ज्यादा फैशन में नहीं है।

कई बार मेटल और सिरेमिक को मिलाकर भी क्राउन या कैप तैयार किए जाते हैं। ये ज्यादा मजबूत होते हैं और अलग से नजर भी नहीं आते। अगर कप या दांत निकल जाए और यह सेफ हो तो उसे ही दोबारा लगा सकते हैं। लेकिन दो हफ्ते के अंदर जरूर लगवा लेना चाहिए।

क्राउन आमतौर पर पांच से सात साल चल जाते है। अगर ठीक से रखरखाव किया जाये तो और लम्बे समय तक चल सकते है।

वक्त : कम से कम दो सिटिंग्स

विनियर (लैमिनेशन) (Dental Veneers)

विनियर पोर्सिलिन की पानी जैसी पतली परत होती है, जोकि दांतों के ऊपर लगा दी जाती है। इसके लिए पहले दांत का नाप लिया जाता है और फिर उसके मुताबिक सिरमिक या पोर्सिलिन की परत लेब में तैयार की जाती है।

इस लेयर को दांत के ऊपर लगा दिया जाता है। इन शेल्स को फिट करने के लिए दांत के इनेमल की एक हल्की परत हटाई जाती है। तीन-पांच साल तक चल जाते हैं।

विनियर ट्रांसपेरंट दिखनेवाला पोर्सिलिन काफी मजबूत होता है। कंपोजिट के मुकाबले सिरमिक या पोसिलिन विनियर बेहतर होते है, लेकिन एक बार लगवाने के बाद विनियर हमेशा लगवाने पड़ते हैं क्योंकि ऑरिजिनल दांत की ऊपरी परत हटा दी जाती है, जिससे वह खुरदुरा हो जाता है।

वक्त :- कम से कम दो सिटिंग्स

दांत टूटने का क्या कारण है?

आपके दांतों को ढकने वाला enamel शरीर में सबसे सख्त, सबसे खनिजयुक्त ऊतक है लेकिन इसकी ताकत की भी कुछ सीमाएं हैं। गिरने के कारण, चेहरे पर झटका लगना, या किसी सख्त चीज को काटने से – खासकर अगर दांत में पहले से ही कुछ सड़न हो – दांत के झड़ने या टूटने का कारण बन सकता है।

दांत टूटने पर नया लगवाना जरुरी क्यों है?

दांत निकलने के तीन महीने के अंदर नया दांत लगवा लेना चाहिए, वरना बाकी दांत खिसक कर निकले हुए दांत की जगह घेर लेते हैं। जगह खाली होने पर बाकी दांतों पर दबाब पड़ता है जिससे उनकी जड़े हिल जाती है और ये कमजोर हो जाते हैं।

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