पित्ताशय की पथरी में अनार और अनार के जूस का सेवन करने से क्या आप इस समस्या से निजात पा सकते है? आइये जाने इस बारे में।
लेकिन आगे बढ़ने से पहले थोड़ी सी जानकारी पित्ताशय की पथरी के बारे में।
पित्ताशय यानि गालब्लेडर
पित्त की थैली यानि गालब्लेडर जिसे पित्ताशय के नाम से भी जाना जाता है, शरीर का एक छोटा सा नाशपाती के आकर का थैलीनुमा अंग है जो लीवर के ठीक पीछे मौजूद होता है। इसका कार्य पाचक पित्त, जो वसा के अवशोषण में मददगार होता है, को संग्रहित करता है और भोजन के उपरांत पित्त नली के माध्यम से, भोजन को पचाने के लिए छोटी आंत में पित्त का स्त्राव करता है।
पित्ताशय की पथरी
कभी-कभी पाचन क्रिया की मंद पड़ने पर पित्ताशय में कोलेस्ट्राल, बिलीरुबिन, पित्त लवणों और वसा का जमाव, पथरी का रूप धारण कर लेता है। जिसे पित्त पथरी या पित्त की पथरी के नाम से भी जाना जाता है जिसमे अधिकतर अस्सी प्रतिशत तक कोलेस्ट्राल मौजूद होता है। ज्यादातर डॉक्टर इस पथरी को निकालने के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज बताते है लेकिन पित्त की पथरी का घरेलू उपचार भी संभव है।
पित्त की पथरी को निकालने के नाम पर किये गए ऑपरेशन में आपके शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग पित्त की थैली को ही निकाल दिया जाता है जिसके दुष्प्रभाव आपको जिंदगी भर झेलने पड़ते है।
यदि आप भी पित्त की थैली में पथरी की समस्या से पीड़ित है तो ऑपरेशन करवाने से पहले प्राकृतिक रूप से इस समस्या को दूर करने की एक कोशिश करने में कोई नुकसान नहीं है।
कई तरह के प्राकृतिक फल व औषधीय है जिनके सेवन से पथरी का इलाज किया जा सकता है जैसे सेब, चुकुन्दर और नाशपाती।
क्या अनार और अनार के जूस का सेवन करने से आप इस समस्या से निजात पा सकते है? क्या ये किसी भी तरह से पित्त की पथरी में फायदेमंद है? इन बातों के जवाब जानने से पहले थोड़ी सी जानकारी अनार के बारे में।

अनार (Promegranate)
एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल गुणों से भरपूर ठंडी प्रकृति का अनार सभी तरह के त्वचा के रोगों, गुर्दे की बीमारी, मूत्र में जलन, पथरी की समस्या, और लिवर की कमजोरी में काफी फायदेमंद होता है। यह एनर्जी से भरपूर होता है और शारीरिक थकान को तुरंत कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा अनार के एस्ट्रिजेंट गुण ( Astringent Property ) भी पाया जाता है जो पथरी को गलाने में सहायक होता है।
अनार के रस में कई अन्य फलों के रस की तुलना में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते है। इसमें ग्रीन टी या रेड वाइन की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं। माना जाता है कि एंटीऑक्सिडेंट एलडीएल, या “खराब” कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत फायदेमंद होते है।
अगर आप अनार के फायदे और अनेक रोगो में अनार के उपयोग के तरीको को जानना चाहते है तो हमारे एक अन्य लेख में आपको इसकी जानकारी मिल जायगी।
अनार के फायदे और विभिन्न रोगो में प्रयोग की विधि की जानकारी
पित्ताशय की पथरी में अनार
पित्ताशय की पथरी को निकालने के लिए सेब के जूस का सेवन करना की जानकारी तो आयुर्वेदा में दी गई है। साथ ही आयुर्वेदा के अनुसार अनार का सेवन करना पित्त की पथरी के रोगिओं के लिए फायदेमंद होता है क्योकि इस रोग से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए दी गई पथ्य-अपथ्य की लिस्ट में अनार पथ्य बताया गया है।
अनार में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रण में रखते है और पित्त की पथरी का मुख्य पदार्थ कोलेस्ट्रॉल ही होता है। ऐसे में अनार धीरे-२ पित्त की पथरी को खत्म करने के साथ-२ कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण पा कर उसके बढ़ने और बनने की सम्भावना को भी बहुत कम कर देते है।
साथ ही दोस्तों अगर आप नहीं जानते तो बता दे की जहां किडनी स्टोन मूत्र के जरिये शरीर से बाहर निकलता है वही पित्त की पथरी मल (Potty ) के जरिये शरीर से बाहर निकलती है और अनार तथा अनार के बीजों में मौजूद एस्ट्रिंजेंट प्रॉपर्टी (astringent property), मल (Potty) को बांधने में सहायक होती है जिस कारण ही यह पित्त की पथरी को बाहर निकालने के लिए मददगार है।

पित्ताशय की पथरी में अनार का जूस और अनार के दाने दोनों ही फायदेमंद होते हैं। इनका रोजाना सेवन करने से पित्त की थैली में मौजूद पथरी धीरे-२ गलने लगती है और धीरे-२ यह समस्या खत्म हो जाती है।
लेकिन पित्त की पथरी में अनार के प्रभाव पर और अध्ययन की आवश्यकता है | यहां पर दी गई जानकारी सिर्फ नॉलेज बढ़ाने हेतु दी गई है |
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