Triphala Powder || अलग-२ ऋतुओ में त्रिफला चूर्ण लेने का तरीकाऔर उसके फायदे || त्रिफला से कायाकल्प
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आज इस लेख में हम आपको त्रिफला से कायाकल्प विधि के अनुसार त्रिफला चूर्ण के निर्माण की विधि, अलग-2 ऋतुओ में अलग-2 वस्तुओ के साथ मिलाकर त्रिफला लेने का तरीका (Triphala Churna ka Sevan kaise kare), उनका अनुपात और त्रिफला के फायदे (Triphala Churna Benefits in Hindi) के बारे में जानकारी दे रहे है |
दोस्तों, त्रिफला चूर्ण का विधिवत सेवन अमृत तुल्य है और कायाकल्प करने में समर्थ है | त्रिफला चूर्ण वात, पित्त और कफ त्रिदोषनाशक यानि तीनों दोषों का नाश करने वाला रसायन है |
हमारे ऋषि-मुनियों ने वर्षों के अध्ययन करने के बाद त्रिदोषनाशक यानि तीनों दोषों का नाश करने वाला त्रिफला चूर्ण का निर्माण किया और उसको लेने के लिए अलग-अलग ऋतुओ में अलग-अलग वस्तुओ के साथ मिलाकर त्रिफला चूर्ण के सेवन करने के तरीके ( Triphala Churna ka Sevan kaise kare )का वर्णन आयुर्वेदा के कई किताबो मैं दिया गया है |
यहां पर हम यह तरीका और इसके हिसाब से त्रिफला चूर्ण के निर्माण की विधि के साथ-साथ त्रिफला चूर्ण सेवन करने की विधि (Triphala Churna ka Sevan kaise kare), भिन्न-२ ऋतुओ में मिलाये जानी वाली वस्तुए और उनका अनुपात और इस विधि से त्रिफला चूर्ण लेने के लाभों (Triphala Churna Benefits in Hindi) के बारे में जानकारी दे रहे है |
Triphala Churna Benefits in Hindi
यदि त्रिफला चूर्ण को आगे बताई गई चीजें मिलाकर आगे बताई गई विधि के साथ लगातार 12 वर्ष तक सेवन किया जाए तो आयुर्वेद में निम्न लाभ बताए गए हैं
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1 वर्ष तक सेवन करने से सुस्ती दूर भाग जाती है |
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2 वर्ष तक सेवन करने से सब रोगों का नाश होता है |
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3 वर्ष तक सेवन करने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है |
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4 वर्षों तक सेवन करने से चेहरे पर अपूर्व सौंदर्य निखार उठता है |
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5 वर्षों तक सेवन करने से बुद्धि का खूब विकास होता है |
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6 वर्ष तक सेवन करने से बल की अपरिमित वृद्धि होती है |
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7 वर्ष तक सेवन करने से सफेद बाल पुनः काले हो जाते हैं |
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8 वर्षों तक सेवन करने से वृद्ध व्यक्ति पुनः युवा बन जाते है |
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9 वर्ष तक सेवन करने से दृष्टि इतनी तेज हो जाती है की दिन में तारे भी स्पष्ट दिखने लगते हैं |
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10 वर्ष तक सेवन करने से कंठ में सरस्वती का वास होता है और हृदय में दिव्य प्रकाश की अनुभूति होती है |
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11 वर्षों तक सेवन करने से वचन सिद्धि प्राप्त हो जाती है अर्थात सेवन करने वाला व्यक्ति इतना सामर्थ्यवान हो जाता है कि जो भी वचन बोले खाली नहीं जाता बल्कि सत्य सिद्ध होता है |
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उपरोक्त बनाए गए लाभ आज अतिशयोक्तिपूर्ण लगे परंतु इतना जरुर है कि शरीर में कैसी भी बीमारी हो वह स्थाई रूप से ठीक हो जाती है और व्यक्ति वृद्ध से युवा जैसा हो जाता है |
त्रिफला से कायाकल्प विधि के अनुसार त्रिफला चूर्ण के निर्माण की विधि (Triphala Churna banane ki Vidhi in Hindi)
हरड़ (पीली), बहेड़ा, आंवला तीनों फल स्वच्छ बिना कीड़े लगे की गुठली निकालने के बाद छिलकों को कूटकर पीसकर कपड़े छान कर के प्रत्येक को अलग-अलग चूर्ण बना लें और फिर 1:2:4 के अनुपात में मिलाकर रख लें | जैसे कि यदि हरड़ का चूर्ण 10 ग्राम हो तो बहेड़े का चूर्ण 20 ग्राम और आंवले का चूर्ण 40 ग्राम लेकर मिलाना चाहिए | इस मिश्रण को किसी शीशी में डॉट लगाकर बरसाती हवा से बचाते हुए रखना चाहिए |

सदैव निरोगी रहने और कायाकल्प के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए कि वह त्रिफला चूर्ण घर पर ही ऊपर बताई गई विधि ( Triphala Churna banane ki Vidhi in Hindi ) से के अनुसार बनाएं और 4 महीने के अंदर वह चूर्ण का इस्तेमाल आगे बताई गई विधि ( Triphala Churna ka Sevan kaise kare ) के हिसाब से कर ले क्योंकि 4 महीने के बाद चूरन उतना प्रभावशाली नहीं रहता |
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त्रिफला से कायाकल्प विधि के अनुसार त्रिफला चूर्ण में क्या-2 कितना-2 मिलाये (Triphala Churna ka Sevan kaise kare)
भारतवर्ष में साल में छह ऋतु होती है और प्रत्येक ऋतु में दो महीने होते है | प्रत्येक ऋतु में त्रिफला लेते समय आगे बताई गई विधि के अनुसार एक-एक वस्तु त्रिफला चूर्ण में मिलाकर लें |
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ग्रीष्म ऋतु
ग्रीष्म ऋतु 14 मई से 13 जुलाई तक गुड़ के साथ इसका सेवन करना चाहिए जिसमें एक हिस्सा गुड़ और चार हिस्से त्रिफला होना चाहिए |
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वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु में यानी 14 जुलाई से 13 सितंबर तक सेंधा नमक मिलाकर त्रिफला का सेवन करना चाहिए जिसमें एक हिस्सा सेंधा नमक और 8 हिस्सा त्रिफला चूर्ण होना चाहिए |
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शरद ऋतु
शरद ऋतु यानी 14 सितंबर से 13 नवंबर तक देसी खांड के साथ मिलाकर त्रिफला का सेवन करना चाहिए जिसमें एक हिस्सा देसी खांड का और 6 हिस्सा त्रिफला का होना चाहिए |
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हेमंत ऋतु
हेमंत ऋतु यानी 14 नवंबर से 13 जनवरी तक सोंठ का चूर्ण मिलाकर त्रिफला का सेवन करना चाहिए जिसमें एक भाग सोंठ का चूर्ण और 6 भाग त्रिफला का होना चाहिए |
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शिशिर ऋतु
शिशिर ऋतु यानी 14 जनवरी से 13 मार्च तक पीपल की लेंडी मिलाकर त्रिफला का सेवन करना चाहिए जिसमें एक भाग पीपल की लेंडी और 8 भाग त्रिफला चूर्ण का होना चाहिए |
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वसंत ऋतु
वसंत ऋतु यानी 14 मार्च से 13 मई तक जिसमें त्रिफला में शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए | त्रिफला में इतना शहद मिलाना चाहिए कि जितना मिलाने से अवलेह बन जाए या उसे चाटा जा सके |
त्रिफला से कायाकल्प विधि के अनुसार त्रिफला चूर्ण लेने का तरीका
(Triphala Churna ka Sevan kaise kare)
सुबह-सुबह मुंह हाथ धोने और कुल्ला करने के बाद खाली पेट त्रिफला चूर्ण ताजा पानी के साथ प्रतिदिन केवल एक बार ले |
त्रिफला चूर्ण की कितनी मात्रा में लेना चाहिए?
बच्चे हो या व्यस्क जितने साल जिसकी आयु हो उसे उतनी रत्ती त्रिफला चूर्ण लेना चाहिए | जितने वर्ष उतनी रत्ती जैसे कि यदि आप 32 वर्ष के हैं तो आपको 32 रत्ती ( 4 ग्राम ) त्रिफला चूर्ण ताजा पानी के साथ लेना चाहिए | त्रिफला सेवन के पश्चात 1 घंटे तक दूध या चाय या नाश्ता ना लें |
दूसरे शब्दों में औषधि लेने के 1 घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करना आवश्यक है | त्रिफला सेवन काल में नित्य एक-दो बार पतला पखाना (दस्त ) भी आ सकता है |
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Nice post
Thanks … 🙂
Thanks for sharing very useful information