गर्मियों के रोग के आयुर्वेदिक उपचार हिंदी में – गर्मी यानि ग्रीष्म ऋतू अपने साथ अनेको फायदे लेकर तो आती ही है साथ ही हमारी थोड़ी सी लापरवाही हमें अनेको रोगो का शिकार भी बना सकती है। इस मोसम में हमें अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और जहा तक हो सके घूप में निकलने से बचना चाहिए।
इस लेख में हम आपको ग्रीष्म ऋतू में होने वाले अनेको रोग और उन रोगो को ठीक करने के आयुर्वेदिक उपचारो की जानकारी देने जा रहे है :-
Summer Diseases in Hindi
चक्कर, प्यास व सिर दर्द, पित्त की वृद्धि, उल्टी, पित्त वृद्धि, घबराहट, मरोड़ व खूनी पेचिश, पतले दस्त, फोड़े-फुंसी व बुखार, लू लगने जैसे अनेक गर्मियों के रोग पर किये जाने वाले आयुर्वेदिक उपचार की जानकारी हम इस लेख में देने जा रहे है।
इस लेख में आपको इन विषयो पर जानकारी दी गई है:-
- Summer Diseases in Hindi
- Summer Diseases | ग्रीष्म ऋतु रोगों के सरल उपाय | गर्मियों के रोग के आयुर्वेदिक उपचार हिंदी में
Summer Diseases | ग्रीष्म ऋतु रोगों के सरल उपाय | गर्मियों के रोग के आयुर्वेदिक उपचार हिंदी में
- चक्कर, प्यास व सिर दर्द तथा पित्त की वृद्धि वाले लक्षणों में शिकजी का प्रयोग करें। साथ में मुरव्या, आंवला या च्यवनप्राश का प्रयोग व शर्बत, ठंडाई या शर्बत बादाम या शर्बत खस, चन्दन, गुलाब आदि का प्रयोग करें।
- उल्टी, पित्त वृद्धि, घबराहट होने पर पहले पानी पीकर उल्टी करके पेट साफ करें तब शिकंजी का प्रयोग करें और नीबू काट कर पर काली मिर्च, काला नमक लगाकर सेंक कर चूसें या आंवले के शर्बत का प्रयोग करें इलायची, सौंफ, लौंग मुंह में रखकर चूसे या शुद्ध हरें या लवण भास्कर चूर्ण का प्रयोग करें।
- मरोड़ व खूनी पेचिश होने पर सत ईसबगोल को दही में मिलाकर मीठा डालकर प्रयोग करें अथवा शवंत आंवला या शवंत बेल या बेल के मुरब्बे के साथ ईसबगोल का प्रयोग करें। साथ में वत्सकादि घनवटी या बैद्यनाथ अमीबिका 2-2 गोली दो-तीन बार या कुटज घनवटी दो-दो गोली तीन बार प्रयोग करें अथवा सौंफ, मिश्री व ईसबगोल मिलाकर चूर्ण बनाकर जल से 3-4 बार खाएं।
- पतले दस्त होने पर अपाचन होता है। इसमें संजीवनी वटी 2-2 गोली तीन बार गर्म जल से खाए या वत्सकादि घनवटी या डायरेक्स टैबलेट या अमीबिका टेबलेट का प्रयोग करें। साथ में चवर्का का प्रयोग करें। चित्रकादि चूर्ण बिल्वादि चूर्ण, गंगाधर चूर्ण, जाति फलादि चूर्ण या लवण भास्कर चूर्ण का प्रयोग करें। अरहर की दाल व जीरे को गर्म तवे पर अधभुना कर लें, पीसकर आधा चम्मच दिन में तीन बार जल से खाएं या अनार का छिलका तवे पर अधभुना करके पीस लें। चौथाई-चौथाई चम्मच उबालें। जल से 3-4 बार प्रयोग करें।
- फोड़े-फुंसी व बुखार होने पर नीम का क्वाथ (काढ़ा), नीम का चूर्ण, नीम का रस या निम्बादि चूर्ण बिन्दल रक्तशोधक सीरप या वैद्यनाथ सुरक्ता या हमदर्द की साफी, अर्क उश्वा मुरक्कब, मंजिष्ठादि अर्क, क्वाथ या सारिवादिरिष्ट का प्रयोग करें। ज्वर अधिक रहने पर संजीवनी वटी का प्रयोग साथ में करना चाहिए।
- लू लगने पर शर्बत बेल वा शवंत चन्दन, खस, आंवला, गुलाब, ठंडाई आदि में से कोई एक दिन में 3-4 बार प्रयोग करें। शर्बत ठंडे स्थान (फ्रिज) में या पंखे की हवा में रखें। यदि अधिक जलन हो तो चन्दन, उशीर, धनिया आदि का लेप करें या गुलाब के तेल (गुल रोगन) में कपूर मिलाकर लगाएं। तेज गर्मी में दिन में बाहर अति आवश्यक होने पर ही निकले और तब सिर व चेहरे को ढंक कर चलें, और धूप से बचे |
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